स्वास्थ्य

गर्भ में पल रहे शिशु को कुछ दवाओं से हो सकती है क्लेफ्ट लिप की समस्या, जानें कैसे करें बचाव

गर्भावस्था एक ऐसी अवस्था होती है, जिसमें गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान ली जाने वाली दवाओं का सीधा असर शिशु पर भी पड़ता है। कुछ दवाएं शिशु में क्लेफ्ट लिप (कटे होंठ) जैसी जन्मजात समस्याओं का कारण बन सकती हैं। क्लेफ्ट लिप एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिशु के होंठ या तालू ठीक से विकसित नहीं हो पाते। इस समस्या से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को दवाओं का सेवन करते समय विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है। आइए जानते हैं कि यह समस्या कैसे होती है, किन दवाओं से इसका खतरा बढ़ता है, और कैसे करें इससे बचाव।

क्या है क्लेफ्ट लिप?

क्लेफ्ट लिप या कटे होंठ की स्थिति में बच्चे के होंठों में एक दरार होती है जो सामान्य विकास के दौरान जुड़ने में विफल हो जाती है। यह समस्या आमतौर पर गर्भधारण के पहले तीन महीनों में होती है, जब शिशु के अंग विकसित हो रहे होते हैं। यह समस्या न केवल शिशु की शारीरिक बनावट को प्रभावित करती है, बल्कि खाने, पीने और बोलने में भी परेशानी का कारण बन सकती है।

किन दवाओं से बढ़ सकता है क्लेफ्ट लिप का खतरा?

कुछ खास दवाएं गर्भावस्था में ली जाएं तो वे शिशु में क्लेफ्ट लिप जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं: मिर्गी के इलाज में उपयोग होने वाली कुछ दवाओं से शिशु में कटे होंठ का खतरा बढ़ सकता है।
  2. रेटिनोइड्स: त्वचा संबंधी रोगों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली रेटिनोइड्स दवाओं का भी प्रभाव शिशु पर पड़ सकता है।
  3. स्टीरॉयड्स: लंबे समय तक स्टीरॉयड्स का सेवन करना शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  4. टेट्रासाइक्लिन: यह एक प्रकार की एंटीबायोटिक है जो गर्भावस्था में शिशु के विकास को प्रभावित कर सकती है।

क्लेफ्ट लिप से बचने के उपाय

  1. डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें: गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। डॉक्टर की सलाह से सुरक्षित दवाओं का ही उपयोग करें।
  2. गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में सतर्कता: शिशु के अंगों का विकास पहले तीन महीनों में होता है, इसलिए इस दौरान विशेष ध्यान रखें। इस समय दवा लेने से पहले डॉक्टर से इसकी सुरक्षा के बारे में पूरी जानकारी लें।
  3. फोलिक एसिड का सेवन: फोलिक एसिड का सेवन गर्भावस्था में आवश्यक होता है, क्योंकि यह शिशु के अंगों के विकास में सहायक होता है और जन्मजात विकृतियों के जोखिम को कम करता है। गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड की पर्याप्त मात्रा लेना फायदेमंद होता है।
  4. धूम्रपान और शराब से दूरी: गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और शराब का सेवन भी शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। ये आदतें क्लेफ्ट लिप जैसी समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकती हैं, इसलिए इन्हें अवश्य छोड़ें।
  5. संतुलित आहार और पोषण: गर्भावस्था के दौरान सही पोषण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। संतुलित आहार लेने से शिशु का विकास सही ढंग से होता है और किसी भी प्रकार की जन्मजात समस्या की संभावना कम होती है।

क्लेफ्ट लिप के लक्षण और इलाज

अगर किसी कारणवश शिशु में क्लेफ्ट लिप की समस्या हो जाती है, तो इसे सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। क्लेफ्ट लिप का इलाज अब चिकित्सा विज्ञान में काफी उन्नत हो गया है और बच्चे के शुरुआती वर्षों में सर्जरी से इस समस्या को आसानी से ठीक किया जा सकता है।

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