जानिये! क्या है लेबनान का पेजर काण्ड? जिससे थर्रा गई पूरी दुनिया
“लेबनान में सिलसिलेवार ढंग से धमाके शुरू हुए। किसी की जेब में तो किसी के हाथ में रखे पेजर अपने आप फटने लगे। जब तक सिलसिला थमता तब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी थी। 3000 से ज्यादा लोग अस्पताल पहुंच चुके थे”
फोटो सोशल मीडिया
17 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरूत में जनजीवन बिल्कुल सामान्य सा दिख रहा था। तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया।
लेबनान में सिलसिलेवार ढंग से धमाके शुरू हुए। किसी की जेब में तो किसी के हाथ में रखे पेजर अपने आप फटने लगे। जब तक सिलसिला थमता तब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी थी।
3000 से ज्यादा लोग अस्पताल पहुंच चुके थे। घायलों में लेबनान में ईरान के राजदूत मुस्तबा अमानी भी हैं। उन्हें ईलाज के लिए ईरान भेजा गया।
दुनिया में पहली बार ऐसा खतरनाक हमला हुआ है जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। एक साथ हजारों धमाके हुए, 3 हजार लोग घायल हो गए और 11 लोगों की मौत हो गई।
हैरानी की बात देखिए जो मरे हैं या घायल हुए हैं वो सभी अपनी जेब में धमाके का सामान लेकर घूम रहे थे। किसी ने दूर बैठकर कप्यूटर से कमांड दी और धड़ाधड़ विस्फोट शुरू हो गए।
हजारों धमाकों में फटने वाले ये वही पेजर्स हैं जो 90 के दशक में भारत में भी काफी पॉपुलर थे। इनका इस्तेमाल मैसेज सेंड और रिसीव करने के लिए किया जाता था। लेकिन धीरे धीरे मोबाइल फोन ने इनकी जगह ले ली।
अब इन्हीं पेजर्स ने हिजबुल्ला आतंकियों की धज्जियां उड़ा दी। वैसे कई लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि ईरान के राजदूत को पेजर इस्तेमाल करने की क्या जरूरत पड़ गई।
वो भी ऐसा पेजर जो हिजबुल्ला के आतंकियों ने खरीदा था। आरोप लगाया जा रहा है कि ये हमला इजरायल ने करवाया है।
हिजबुल्ला नेता हसन नसरल्लाह ने पहले समूह के सदस्यों को सेलफोन न रखने की चेतावनी देते हुए कहा था कि उनका इस्तेमाल इजराइल द्वारा उनकी गतिविधियों पर नजर रखने और लक्षित हमले करने के लिए किया जा सकता है।
वैसे तो इस हमले को लेकर इजरायल ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन इजरायल के टारगेटेड अटैक और इस तरह के हमलों को अंजाम देने में इसकी विशेषज्ञता को देखते हुए, उसमें उसकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
सबसे बड़ा आश्चर्य पेजर को निशाना बनाना है, जो एक कम तकनीक वाला उपकरण है, जिसका विडंबना यह है कि इस्तेमाल ठीक इसलिए किया जा रहा था क्योंकि उन्हें मोबाइल फोन की तरह दूर से नियंत्रित किए जाने के लिए असुरक्षित नहीं माना जाता था।
2018 में प्रकाशित बुक राइज़ एंड किल फ़र्स्ट के अनुसार, इज़राइली खुफिया बलों का अपने दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए सेल फ़ोन जैसे संचार उपकरणों का उपयोग करने का दशकों पुराना इतिहास रहा है।
ऐसी ही एक घटना 1972 की है, जब माना जाता है कि इज़राइल ने म्यूनिख ग्रीष्मकालीन ओलंपिक नरसंहार के लिए फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) से बदला लिया था।
मोसाद के जासूसों ने पीएलओ के पेरिस प्रमुख महमूद हमशारी के फ्लैट में प्रवेश किया और उनके फोन के बेस को विस्फोटकों के साथ बदल दिया।
जैसे ही हमशारी ने फोन उठाया, उसे इजरायली टीम ने रिमोट से विस्फोट कर दिया। हमशारी को अपना एक पैर खोना पड़ा।
पेजर क्या है
पेजर एक कम्युनिकेशन डिवाइस है जो छोटा और पोर्टेबल होता है। इसका इस्तेमाल मेसेज के लिए किया जाता है। इसे बीपर भी कहा जाता है, क्योकि जैसे ही कोई मैसेज आता है तो बीप की आवाज आती है।
1990 और 2000 के दशक में यह काफी प्रचलन में था। पेजर रेडियो फ्रीक्वेसी से मेसेज सेड-रिसीव करते हैं। मोबाइल फोन आने के बाद पेजर का इस्तेमाल करीब खत्म होता गया, क्योकि मोबाइल में मेसेज के साथ फोन की भी सुविधा है।
मौजूदा समय में पेजर चलन में नहीं है लेकिन अब भी कई सेवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है। खासकर, इमरजेंसी सर्विस में इसका इस्तेमाल होता है। पेजर की बैटरी लंबे समय तक काम करती है।
क्या होगा परिणाम?
पेजर अटैक ने बड़े और घातक संघर्ष की आशंका को बढ़ा दिया है। इससे इस्राइल-हमास के बीच सीजफायर को लेकर हो रही कोशिशों को भी झटकालगा है।
हिज्बुल्लाह ने चेतावनी दी है कि वह इसकी सजा देगा, इससे दोनों के बीच चल रहा सघर्ष नया गोड़ ले सकता है।
वैसे भी 7 अक्टूबर को हमास के इस्राइल पर हमले के बाद से इस्राइल-हिज्बुल्लाह के बीच लगभग हर रोज सीमा पार से गोलीबारी हो रही है।
इस्राइल ने गाजा में हमास के खिलाफ अपने हमले कम किए है, जिससे उसके पास नॉर्थ में हिज्बुल्लाह के खिलाफ हमले के लिए बड़ी संख्या में सैनिक मौजूद है।
पेजर का ही इस्तेमाल क्यों?
हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्ला ने चेताया था कि इस्राइल सेलफोन के जरिए समूह की गतिविधियों पर नजर रख सकता है।
इसके बाद हिज्बुल्लाह ने सेलफोन का इस्तेमाल बंद कर दिया और गोल्ड अपोलो कंपनी से 5000 से अधिक पेजर मंगवाए थे।
इन पेजर को न सिर्फ अपने लड़ाकों को, बल्कि लेबनान और सीरिया, ईरान में रैंक-एंड-फाइल मेम्बर्स को भी दिया गया था।
हिज्बुल्लाह ने सोचा था कि पेजर के इस्तेमाल से उसके मेसेज को इंटरसेप्ट करना मुश्किल होगा .