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स्वास्थ्य परिचर्चा – फोन से जुड़ी है डिजिटल डिमेंशिया की बीमारी? जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

 

नई दिल्ली 14 / 08 / 2024 सुनील शर्मा की रिपोर्ट

“इस बीमारी में डिजिटल डिवाइस जैसे फोन, कंप्यूटर और लैपटॉप ज्यादा इस्तेमाल करने से दिमाग की क्षमता कम हो जाती है”

इन दिनों 10 में से 9 लोगों के दिन की शुरुआत मोबाइल पर नोटिफिकेशन चेक करते हुए होती है। इतना ही नहीं रात को सोने से पहले भी लोग अपने फोन पर फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम ऐसे चेक करते हैं, जैसे कुछ पीछे छूटने वाला हो।

आसान भाषा में कहें तो आज के दौर में लोगों का ज्यादातर समय स्क्रीन पर बीत रहा है। स्क्रीन चाहे मोबाइल की हो, टीवी या फिर लैटपटॉप की। व्यस्क तो व्यक्त इस स्क्रीन से बच्चे भी नहीं बच रहे हैं।

कार्टून, गेम्स और ऑनलाइन क्लास की वजह से छोटे बच्चे भी दिन से 6 से 8 घंटे मोबाइल स्क्रीन पर बिता रहे हैं। ऐसे में ज्यादा स्क्रीन देखने की वजह से डिजिटल डिमेंशिया की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। आज इस लेख में हम आपको डिजिटल डिमेंशिया के बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या है डिजिटल डिमेंशिया की बीमारी

मुलुंद स्थित फोर्टिस अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. पारुल टैंक की मानें तो डिजिटल डिमेंशिया मुख्य रूप से स्मार्टफोन और इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से दिमाग की क्षमता कम होने की बीमारी है।

दरअसल जब हम बहुत ज्यादा स्क्रीन देखते हैं, तो हमारी आंखों के सामने कई सारी तस्वीरें, वीडियो, फोटो और खबरें आती हैं। इसकी वजह से दिमाग में उलझन होती है और सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है।

एक्सपर्ट की मानें तो लंबे समय तक स्क्रीन का इस्तेमाल करने की वजह से दिमाग पर ज्यादा जोर पड़ता है और रात को सपने भी उसी से जुड़े हुए आते हैं।

क्या है डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण

एक्सपर्ट की मानें तो डिजिटल डिमेंशिया के कोई प्रमुख लक्षण नहीं है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में नीचे दिए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह डिजिटल डिमेंशिया का लक्षण हो सकते हैंः

  • भूलने की बीमारी
  • बातों को लंबे समय तक याद न रख पाना
  • फोकस बनाने में मुश्किल
  • एक वक्त पर कई सारी चीजें करने की कोशिश करना
  • चीजों को गलत तरीके से करना

डिजिटल डिमेंशिया से बचाव के तरीके

– घर के बड़े हों या फिर बच्चे डिजिटल डिमेंशिया से बचाव के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात है स्क्रीन टाइम को कम करना। एक्सपर्ट का कहना है कि वर्किंग लोगों को भी स्क्रीन टाइम कम करने की जरूरत है, ताकि काम में प्रोडक्टिविटी बढ़ाई जा सके। आइए जानते हैं इस बीमारी से बचाव के तरीकों के बारे में।

– स्किन टाइम को सीमित करने की कोशिश करें। इसके लिए काम के बीच 10 से 15 मिनट का ब्रेक लें। ब्रेक के दौरान सिर्फ लैपटॉप ही नहीं बल्कि मोबाइल की स्क्रिन को भी न देखें।

– छुट्टी के दिन जो लोग घर पर होते हैं वह किताबों पर फोकस करें। किताबें पढ़ने से माइंड डिस्टर्ब नहीं होता है और फोकस बढ़ाने में मदद मिलती है।

– डिजिटल गैजेट्स पर निर्भर रहने की बजाय अपने दिमाग का प्रयोग करें। घर के सामान की लिस्ट मोबाइल की बजाय कॉपी और पेन पर लिखें। नई चीजें सीखें, इसके लिए भाषा, डांस, म्यूजिक, कराटे या कुकिंग क्लास ज्वाइन की जा सकती हैं।

– पजल्स गेम्स, पजल्स और नंबर गेम्स खिलाने की कोशिश करें। ऐसा करने से दिमाग का फोकस बढ़ता है। एक्सपर्ट का कहना है कि एक बार फिजिकल गेम्स में दिलचस्पी आती है, तो फिर स्क्रीन वाले गेम्स बेकार लगने लगते हैं।

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