कजान में मोदी ने जिनपिंग को ऐसा क्या मंत्र फूंका, जिससे चीन के मुंह से टपक रहा शहद? जी-20 में जाएंगे जयशंकर?
कजान (रूस) में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण वातावरण देखा गया। इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के राष्ट्रपति को ऐसा “मंत्र” दिया कि अब चीन की भाषा में मधुरता और सहयोग का संकेत मिल रहा है। इस मीटिंग को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा गर्म है, और इसने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के रिश्तों की दिशा को प्रभावित करने की संभावना को जन्म दिया है।
कजान में मोदी-जिनपिंग बैठक
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच यह मुलाकात जी-20 समिट से पहले कजान में आयोजित हुई। इस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री ने एक विशेष संदेश दिया, जो चीन की आक्रामक नीतियों और भारत-चीन सीमा विवाद के बावजूद दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए था। सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने इस मुलाकात में चीन को “विकास और शांति” की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि भारत और चीन दोनों एशिया के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण देश हैं, और उनके रिश्ते में सहयोग का रास्ता दुनिया के लिए लाभकारी हो सकता है।
चीन के मुंह से शहद क्यों?
प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतिक और कूटनीतिक बातें इस हद तक प्रभावी रही कि शी जिनपिंग ने सकारात्मक बयान देना शुरू कर दिया। जिनपिंग ने भारत-चीन के रिश्तों को लेकर “सहयोग, संवाद और शांति” का समर्थन किया और इसे एशिया और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण बताया। चीन ने भारत के साथ व्यापार और कूटनीतिक सहयोग को बढ़ाने के संकेत दिए, जो पहले केवल सीमित स्तर पर ही था।
यह बदलाव चीन की नीतियों में महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है, जहां पहले सीमा विवाद और कड़े रुख के कारण तनाव बढ़ा हुआ था, अब वही चीन भारत के साथ मित्रवत रिश्तों को बढ़ावा देने की बात कर रहा है। यह मोदी की कूटनीतिक दूरदृष्टि का परिणाम है, जिसमें उन्होंने चीन के साथ दीर्घकालिक सहयोग को प्राथमिकता दी है।
जी-20 में जाएंगे जयशंकर?
चीन के साथ शहद की बातें होने के बावजूद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के जी-20 समिट में शामिल होने की संभावना को लेकर भी अटकलें लग रही हैं। माना जा रहा है कि इस समिट में भारत और चीन के रिश्तों को और प्रगाढ़ करने के लिए कई कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे। जयशंकर की उपस्थिति जी-20 में दोनों देशों के रिश्तों की नई दिशा को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दे सकती है।