कनाडा की संसद में हिंसा पर घिरे जस्टिन ट्रूडो, खालिस्तान और मंदिर का नहीं किया जिक्र, विपक्षी नेता ने जमकर फटकारा
कनाडा की संसद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो विपक्षी हमलों के निशाने पर आ गए हैं। हिंसा से जुड़े मुद्दे पर ट्रूडो का बयान न केवल विपक्षी नेताओं के लिए आलोचना का कारण बना, बल्कि उन्होंने खालिस्तान आंदोलन और मंदिरों में हुई घटनाओं का जिक्र भी नहीं किया, जिसे लेकर विपक्ष ने उन्हें जमकर फटकारा।
हिंसा पर जस्टिन ट्रूडो का बयान
कनाडा की संसद में हुई हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री ट्रूडो ने अपनी चुप्पी तोड़ी, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे से जुड़े कई संवेदनशील पहलुओं पर टिप्पणी नहीं की। खासकर, खालिस्तान आंदोलन और मंदिरों में हुई घटनाओं का जिक्र न करके ट्रूडो ने विपक्षी दलों के आरोपों का सामना किया। विपक्षी नेताओं ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
विपक्षी नेता की फटकार
कनाडा के विपक्षी नेता, विशेष रूप से कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों ने ट्रूडो को आड़े हाथों लिया और कहा कि उनका बयान हिंसा की गंभीरता को नहीं दर्शाता। विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत के खिलाफ खालिस्तान आंदोलन को समर्थन देने वाले तत्वों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे हिंसा को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा, उन्होंने मंदिरों में होने वाली तोड़-फोड़ और हमलों पर भी कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी, जो सिख समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं।
कंजर्वेटिव पार्टी के नेता ने ट्रूडो को चेतावनी दी कि अगर वह इस मुद्दे पर गंभीर कदम नहीं उठाते, तो इससे कनाडा में धार्मिक तनाव और बढ़ सकता है।
खालिस्तान और मंदिरों के मुद्दे पर चुप्पी
कनाडा में खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों का प्रभाव बढ़ने के कारण भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव आ चुका है। कई मंदिरों में हमलों और खालिस्तान समर्थकों के विरोध प्रदर्शन के बाद भारत ने कनाडा से सख्त कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, ट्रूडो सरकार ने हमेशा इस मुद्दे पर संयमित रुख अपनाया है, जो विपक्षी नेताओं को खला रहा है।
कनाडा और भारत के रिश्तों पर असर
इस घटनाक्रम का कनाडा और भारत के रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत ने कनाडा से खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। कनाडा में बढ़ते धार्मिक और जातीय तनाव से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेद और भी गहरे हो सकते हैं।