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झारखंड चुनाव: पीएम नरेंद्र मोदी के बाएं चंपाई सोरेन तो दाएं अर्जुन मुंडा, BJP की इस रणनीति के पीछे का सच जानिए

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा ने एक दिलचस्प रणनीति तैयार की है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाएं ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) प्रमुख चंपाई सोरेन और दाएं ओर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की मौजूदगी दिखाई जा रही है। भाजपा ने इस चुनावी समर में अपनी रणनीति में इन दोनों नेताओं का सामरिक उपयोग करने की योजना बनाई है, जो राज्य की राजनीति के बड़े चेहरे हैं।

भाजपा की दोधारी रणनीति

पीएम मोदी की चुनावी सभाओं में जहां चंपाई सोरेन और उनकी पार्टी की आलोचना की जा रही है, वहीं अर्जुन मुंडा का नाम और उनकी स्थिति भाजपा के लिए एक सशक्त अस्तित्व का रूप बन चुकी है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि चंपाई सोरेन की आलोचना राज्य में विपक्षी वोटों को खींचने में मदद करेगी, जबकि अर्जुन मुंडा की छवि आदिवासी समुदाय के बीच भाजपा को मजबूती दे सकती है।

चंपाई सोरेन का प्रभाव

चंपाई सोरेन की प्रभावी राजनीति झारखंड की आदिवासी समाज और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर गहरी छाप छोड़ती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने राज्य में कई सुधारात्मक कदम उठाए थे, लेकिन भाजपा का मानना है कि उनके नेतृत्व में झारखंड में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अस्थिरता में वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संदर्भ में कई बार आरोप लगाए हैं कि सोरेन सरकार राज्य में विकास के बजाय सत्ता के लिए संघर्ष करती रही है।

अर्जुन मुंडा की भूमिका

अर्जुन मुंडा, जो पूर्व में झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, भाजपा के आदिवासी चेहरे के रूप में उभरे हैं। उनकी छवि एक दृढ़ नेतृत्वकर्ता और आदिवासी समुदाय के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में स्थापित हुई है। भाजपा का मानना है कि उनकी उपस्थिति आदिवासी वोटों को आकर्षित करेगी और पार्टी को राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी।

भाजपा की चुनावी रणनीति

भा.ज.पा. की यह रणनीति राज्य में दोनों प्रमुख पक्षों—सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी नेताओं—के बीच आदिवासी और गैर-आदिवासी समीकरणों पर आधारित है। पार्टी ने अपना चुनावी संदेश इस प्रकार तैयार किया है कि वह चंपाई सोरेन और उनकी पार्टी की नीतियों की आलोचना करते हुए अर्जुन मुंडा की छवि को एक आदर्श के रूप में पेश करेगी।

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