नौसेना के इतिहास में पहली बार: भाई-बहन ने एक ही समय में संभाली युद्धपोतों की कमान
भारतीय नौसेना के इतिहास में एक अनोखी और ऐतिहासिक घटना घटी है, जब भाई और बहन दोनों ने एक ही समय में युद्धपोतों की कमान संभाली। यह घटना भारतीय नौसेना की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है, जिसने न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत को दिखाया, बल्कि भाई-बहन के बीच सामंजस्य और पेशेवर कर्तव्यों के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की है।
भाई-बहन की जोड़ी
यह दुर्लभ घटना भारतीय नौसेना के कमांडिंग ऑफिसर, लेफ्टिनेंट कमांडर अनिवेश कुमार और उनकी बहन, लेफ्टिनेंट कमांडर अपूर्वा सिंह द्वारा की गई है। दोनों ने एक साथ भारतीय युद्धपोतों की कमान संभाली, जिससे यह भारतीय नौसेना के इतिहास में पहली बार हुआ है। लेफ्टिनेंट कमांडर अनिवेश कुमार ने एक मझे हुए युद्धपोत की कमान संभाली, जबकि उनकी बहन अपूर्वा सिंह ने एक अन्य महत्वपूर्ण युद्धपोत का नेतृत्व किया।
पेशेवरता और जिम्मेदारी
इस जोड़ी के लिए यह उपलब्धि सिर्फ एक पारिवारिक गौरव नहीं है, बल्कि यह भारतीय नौसेना में पेशेवर कर्तव्यों की ओर उनके योगदान को भी दर्शाता है। भाई-बहन के रूप में दोनों ने अपनी मेहनत, समर्पण और कौशल के बल पर यह स्थान हासिल किया। भारतीय नौसेना के अधिकारी मानते हैं कि यह घटना उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है और भारतीय नौसेना के समर्पित और अनुभवी अधिकारियों के रूप में दोनों की पहचान और प्रतिष्ठा को और बढ़ाएगी।
भारतीय नौसेना का गौरव
भारतीय नौसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो न केवल पेशेवरता का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत है। नौसेना में महिलाओं के योगदान को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रहती हैं, और इस प्रकार की घटनाएं महिलाओं को यह संदेश देती हैं कि वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।
क्या कहती हैं दोनों अधिकारी?
लेफ्टिनेंट कमांडर अनिवेश कुमार ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं अपनी बहन के साथ एक ही समय में युद्धपोत की कमान संभाल रहा हूं। हमारी मेहनत और हमारी जिम्मेदारी दोनों की एक जैसी है, और हम इसे पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं।”
लेफ्टिनेंट कमांडर अपूर्वा सिंह ने भी कहा, “यह अवसर मेरे लिए बहुत खास है। मैं इस मौके का भरपूर उपयोग करने के लिए तैयार हूं और भारतीय नौसेना की सेवा में सर्वोत्तम देने का प्रयास करूंगी।”