पन्नू मर्डर प्लॉट: RAW के पूर्व अधिकारी पर अमेरिकी जमीन पर साजिश रचने का आरोप, भारत का क्या कहना है?
- अमेरिका ने भारत की खुफिया एजेंसी, RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के एक पूर्व अधिकारी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची थी। पन्नू खालिस्तान समर्थक संगठन, सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) का प्रमुख है।
- साजिश का विवरण: अमेरिकी न्याय विभाग ने दावा किया कि इस अधिकारी ने अमेरिका में एक अन्य व्यक्ति को इस काम के लिए नियुक्त किया था। यह व्यक्ति पन्नू की हत्या के लिए जिम्मेदार था और उसने अमेरिकी धरती पर हत्या की योजना को अंजाम देने का प्रयास किया।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारत सरकार ने इस आरोप को पूरी तरह से निराधार बताया है और कहा है कि वह आतंकवाद के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करती। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि भारत अपने नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी संगठनों द्वारा फैलाए जा रहे खतरों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसी दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग करता है।
पन्नू का खालिस्तानी आंदोलन में स्थान:
- गुरपतवंत सिंह पन्नू एक प्रमुख खालिस्तान समर्थक नेता हैं, जो लंबे समय से भारत के खिलाफ बयानबाजी करते आए हैं। वह सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन के मुखिया हैं, जो भारत में पंजाब राज्य को अलग खालिस्तान राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की मांग करता है। पन्नू के संगठन को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है, और उन्हें कई मामलों में वांछित घोषित किया गया है।
- पन्नू ने कई बार भारतीय अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ हिंसक भाषण दिए हैं और 2020 में भारत में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान भी उनकी सक्रियता बढ़ गई थी। भारत सरकार के अनुसार, पन्नू के संगठन ने विभिन्न विदेशी प्लेटफार्मों से भारत के खिलाफ खालिस्तानी विचारधारा का प्रचार किया है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया:
- अमेरिकी न्याय विभाग के मुताबिक, यह साजिश इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे अमेरिकी धरती पर अंजाम देने की कोशिश की गई थी। अमेरिकी कानूनों के तहत यह एक गंभीर अपराध है और अमेरिका की सरकार इस मामले में गहन जांच कर रही है।
- अमेरिका ने भारत और अन्य देशों को यह स्पष्ट किया है कि उसकी जमीन पर इस तरह की साजिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन की अपील की है और कहा है कि इस प्रकार की घटनाएं दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती हैं।
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर असर:
हालांकि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुए हैं, लेकिन ऐसे आरोप उन पर छाया डाल सकते हैं। भारत ने पहले भी खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों को लेकर अमेरिका, कनाडा, और ब्रिटेन के साथ कूटनीतिक बातचीत की है, ताकि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
इस मामले के सामने आने के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद और तेज हो सकता है। भारत ने अपने नागरिकों और राजनयिकों की सुरक्षा के प्रति चिंता जताई है, जबकि अमेरिका ने इस मामले में निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।