पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करेंगे, कश्मीर का मुद्दा हल हो… दूसरों की जमीन कब्जाने वाले चीन ने भारत पर साधा निशाना
चीन ने हाल ही में एक बयान जारी किया है जिसमें उसने पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करने का संकल्प जताया और कश्मीर मुद्दे के समाधान की बात कही है। दिलचस्प बात यह है कि इस बयान में चीन ने भारत को निशाना बनाया, जबकि खुद चीन का रिकॉर्ड भूमि कब्जे को लेकर विवादित है। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बरकरार है।
मुख्य खबर:
चीन ने पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करने का वादा करते हुए कहा है कि वह कश्मीर मुद्दे के “न्यायसंगत” समाधान का समर्थन करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कश्मीर विवाद को लेकर चिंता जताई और कहा कि इसका हल शांति और संवाद के माध्यम से होना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता से जोड़ते हुए इसे पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव का एक मुख्य कारण बताया।
हालांकि, चीन का यह बयान विडंबनापूर्ण है, क्योंकि वही चीन दक्षिण चीन सागर में अन्य देशों की जमीनों पर कब्जा करने का आरोप झेल रहा है। इसके साथ ही, चीन भारत के साथ भी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवादित क्षेत्रों में घुसपैठ कर चुका है। भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में 2020 में हुए टकराव के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है।
चीन की रणनीति:
विश्लेषकों का मानना है कि चीन पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए इस तरह के बयान जारी कर रहा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक प्रमुख हिस्सा है, जिसे भारत पहले ही अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मान चुका है क्योंकि यह विवादित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरता है।
चीन, जो खुद कई विवादित क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश में है, अपने इस बयान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखाना चाहता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में एक जिम्मेदार शक्ति है। लेकिन भारत के लिए यह बयान एक कूटनीतिक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि चीन का समर्थन पाकिस्तान को एक नई ऊर्जा देता है, खासकर कश्मीर मुद्दे पर।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने चीन के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत सरकार ने कश्मीर को आंतरिक मुद्दा बताते हुए साफ किया है कि चीन को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भारत के अनुसार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उसके अभिन्न अंग हैं और इसमें किसी बाहरी देश का कोई दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।