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भारत का दोस्त खरीदेगा तुर्की के खिलाफ इजरायली ‘ब्रह्मास्त्र,’ एर्दोगान के मंसूबों को लगेगा झटका

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान ने हाल के वर्षों में पश्चिम एशिया और अन्य क्षेत्रों में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए कई विवादास्पद कदम उठाए हैं। खासकर, इस्लामी देशों में अपने प्रभाव को बढ़ाने और एक मजबूत नेता की छवि स्थापित करने के प्रयास में, एर्दोगान ने खुद को “खलीफा” के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। उनके इन प्रयासों ने कई देशों, विशेषकर भारत और इजरायल जैसे देशों की चिंताओं को बढ़ाया है, जो अपने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितों को प्रभावित होते देख रहे हैं।

हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि इजरायल ने अपने मित्र देशों को अपनी नई रक्षा प्रणाली की पेशकश की है, जो किसी भी दुश्मन देश के मंसूबों को विफल करने में सक्षम है। इजरायल की यह नई प्रणाली अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है और इसका उद्देश्य उन देशों की रक्षा करना है जो तुर्की या अन्य शत्रुतापूर्ण देशों की गतिविधियों से खतरा महसूस कर रहे हैं।

यह “ब्रह्मास्त्र” के नाम से प्रसिद्ध इजरायली तकनीक असल में एक हवाई सुरक्षा प्रणाली है, जो दुश्मन के मिसाइल, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों को नष्ट कर सकती है। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों की रक्षा करना है जो तुर्की के संभावित खतरों से प्रभावित हो सकते हैं। इजरायल ने इस तकनीक के जरिए अपने मित्र देशों को एक सुरक्षित रक्षा प्रणाली प्रदान की है, जिससे वे किसी भी तुर्की हमले का सामना कर सकते हैं।

एर्दोगान के बढ़ते नापाक मंसूबों को रोकने के लिए इजरायल की यह पहल एक बड़ी रणनीतिक चाल मानी जा रही है। इजरायल के साथ भारत की भी करीबी सैन्य साझेदारी है, जिससे भारत भी इस तकनीक का लाभ उठा सकता है और तुर्की या किसी भी अन्य देश से संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकता है।

इसके अलावा, तुर्की के इस्लामी दुनिया में बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए कई देशों ने मिलकर एक नया गठबंधन बनाने का प्रयास किया है। इसमें इजरायल और भारत के अलावा कई पश्चिमी देश भी शामिल हैं।

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