In Picture

शरद पूर्णिमा की रात पाइए अमृत प्रसाद, ताकि हो सके रोग का निदान

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे आध्यात्मिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांदनी में अमृत बरसता है, और इस रात को खास तरीके से तैयार किए गए प्रसाद का सेवन करने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिल सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात तैयार किया गया खीर का प्रसाद अमृत के समान होता है, जो सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

मुख्य खबर:
शरद पूर्णिमा की रात, जो साल में सिर्फ एक बार आती है, को हिंदू शास्त्रों में अमृत वर्षा की रात कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में उदित होता है और उसकी चांदनी से अमृत की बूंदे बरसने की मान्यता है। इस पवित्र रात को खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखा जाता है, ताकि चांदनी का प्रभाव उस पर पड़े और वह अमृतमय हो जाए।

शरद पूर्णिमा के इस विशेष प्रसाद का सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिल सकती है।

खीर का महत्व और इसे बनाने की विधि:
शरद पूर्णिमा के दिन खीर का विशेष महत्व है। खीर को चावल, दूध और चीनी के साथ बनाया जाता है। परंपरा के अनुसार, इस खीर को शरद पूर्णिमा की रात चांदनी के नीचे कुछ घंटों के लिए रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया के दौरान चंद्रमा की किरणें खीर में अमृत तत्व समाहित करती हैं। चंद्रमा की ठंडी किरणें खीर को शीतलता और विशेष औषधीय गुण प्रदान करती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते हैं।

स्वास्थ्य पर चमत्कारी प्रभाव:
आयुर्वेदिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर के विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। इस रात को खीर का सेवन करने से शरीर को ठंडक मिलती है, पाचन तंत्र बेहतर होता है, और रक्त संबंधी विकारों में भी सुधार होता है। खीर को चांदनी में रखने से उसमें समाहित ऊर्जा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जिससे मौसमी बीमारियों और अन्य रोगों से बचाव होता है।

आध्यात्मिक महत्व:
शरद पूर्णिमा केवल स्वास्थ्य से जुड़ी नहीं है, इसका आध्यात्मिक महत्व भी बहुत बड़ा है। इस दिन को लक्ष्मी पूजा के लिए भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग जागकर भक्ति और पूजा करते हैं, उन्हें माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

शरद पूर्णिमा की रात ध्यान और योग करने से भी मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

क्या सावधानियां बरतनी चाहिए:
शरद पूर्णिमा की रात को खीर तैयार करते समय यह सुनिश्चित करें कि खीर को साफ-सुथरे बर्तन में रखें और उसे पूरी तरह से ढकने के बजाय हल्का ढककर खुले आसमान के नीचे रखें, ताकि चांदनी का असर उस पर पड़ सके। खीर का सेवन सुबह करें, जब वह पूरी तरह से चंद्रमा की किरणों से प्रभावित हो चुकी हो।

Please Read and Share