सीएम आवास की मरम्मत के मामले की जांच शुरू, सेंट्रल विजिलेंस कमिशन ने CPWD से मांगी रिपोर्ट
राज्य के मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत और नवीनीकरण के विवाद में अब सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (CVC) ने हस्तक्षेप किया है और सीपीडब्ल्यूडी (Central Public Works Department) से इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह जांच इस बात को लेकर शुरू की गई है कि क्या मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत में वित्तीय गड़बड़ी या अनियमितताएं तो नहीं हुईं।
जांच की वजह
मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत के खर्च और काम की गुणवत्ता पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। इसके बाद सरकार के विभिन्न विभागों और अधिकारियों से जांच की मांग की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत पर जिस प्रकार का खर्च हुआ, उसे लेकर विभिन्न स्तरों पर आरोप लगाए जा रहे हैं। विपक्ष ने इसे सरकारी धन की अनावश्यक बर्बादी करार दिया है और आरोप लगाया है कि परियोजना में भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं।
सेंट्रल विजिलेंस कमिशन की भूमिका
सेंट्रल विजिलेंस कमिशन ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की है। CVC ने CPWD से पूरी परियोजना के बारे में जानकारी देने को कहा है, जिसमें मरम्मत के काम का ठेका, खर्च, और गुणवत्ता नियंत्रण से जुड़े सभी पहलुओं का विवरण देने की निर्देश दिए गए हैं।
CVC के अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट मिलने के बाद मामले की आगे की जांच की जाएगी और अगर किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितताएं या भ्रष्टाचार पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
CPWD की प्रतिक्रिया
सीपीडब्ल्यूडी ने इस मामले में जांच के लिए अपनी टीम गठित कर दी है और बताया है कि उन्होंने मरम्मत के सभी कामों को सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं के तहत किया था। उनका कहना है कि कोई भी अनियमितता नहीं हुई है और सभी खर्चे उचित तरीके से किए गए हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत के खर्च पर सवाल उठाए थे और इसे राज्य के विकास कार्यों के लिए जरूरी धन की बर्बादी बताया था। विपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास की मरम्मत में खर्च हुआ धन उन जरूरतमंद लोगों के लिए उपयोग किया जा सकता था जो स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं।