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सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ते ‘बुलडोजर न्याय’ पर लगाई रोक: संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया

भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने देश में बढ़ते ‘बुलडोजर न्याय’ पर रोक लगा दी है। अदालत ने इसे संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी आरोपी को बिना मुकदमा चलाए या बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के सजा देना अनुचित है और यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

‘बुलडोजर न्याय’ पर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश उस बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ दिया है, जहां पुलिस और प्रशासन बिना किसी न्यायिक आदेश के आरोपियों के घरों और संपत्तियों को बुलडोजर से ध्वस्त कर देते हैं। अदालत ने इसे नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन माना और यह कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई से संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों को चोट पहुँचती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों को बिना मुकदमा चलाए सजा देने की कोई जगह नहीं है।

सार्वजनिक स्थलों पर अवैध निर्माण के बारे में स्पष्टीकरण

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक स्थलों पर अवैध निर्माण के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण को हटाने के लिए संबंधित प्राधिकरण को उचित प्रक्रिया और न्यायिक आदेश के तहत कार्य करना चाहिए, न कि बिना न्यायिक सुनवाई के।

नागरिक अधिकारों की रक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के महत्व पर बल देते हुए यह आदेश दिया। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति के घर या संपत्ति को बिना पूरी प्रक्रिया और अदालत द्वारा दिए गए आदेश के नुकसान पहुंचाना संविधानेतर और अन्यायपूर्ण होगा। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि इस मामले में सभी राज्य सरकारों को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएं, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।

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