26/11 मुंबई हमले का पूरा कालक्रम: कसाब से तहव्वुर राणा तक की जांच यात्रा
26/11 हमला: भारत के इतिहास का सबसे भयावह आतंकी हुंडा
“26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया था। 10 आतंकियों के समूह ने शहर के विभिन्न स्थानों पर 60 घंटे तक आतंक मचाया। इस हमले में 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। 15 साल बाद भी इस मामले में न्याय की प्रक्रिया जारी है।”
हमले के मुख्य निशाने:
- ताज होटल
- ओबेरॉय होटल
- नरीमन हाउस
- लियोपोल्ड कैफे
- छत्रपति शिवाजी टर्मिनस
- कामा हॉस्पिटल
पहला चैप्टर: अजमल कसाब की गिरफ्तारी और फांसी
1. जिंदा पकड़ा गया एकमात्र आतंकी
हमलावरों में से केवल अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया। उसे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से गिरफ्तार किया गया।
2. त्वरित न्यायिक प्रक्रिया
- मुकदमा: 2009 में शुरू
- सजा: 2010 में मौत की सजा
- फांसी: 21 नवंबर 2012 को पुणे की यरवदा जेल में
3. कसाब के बयान से खुलासे
कसाब ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रशिक्षण और हमले की योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
दूसरा चैप्टर: पाकिस्तानी संलिप्तता के सबूत
1. अंतरराष्ट्रीय दबाव
- भारत ने पाकिस्तान पर आतंकियों को शरण देने के आरोप लगाए
- यूएन ने LeT को आतंकी संगठन घोषित किया
2. हाफिज सईद का मामला
- LeT प्रमुख को भारत ने मुख्य साजिशकर्ता बताया
- पाकिस्तान ने उसे कई बार नजरबंद किया, लेकिन छोड़ दिया
3. डेविड कोलमन हेडली की भूमिका
- अमेरिकी नागरिक ने हमले की रिकॉनिंस की थी
- अमेरिका ने उसे 35 साल की सजा सुनाई
तीसरा चैप्टर: तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण और NIA जांच
1. कनाडा-अमेरिका में राणा की गतिविधियां
- हेडली का सहयोगी होने का आरोप
- आतंकियों को वीजा दिलाने में मदद की
2. लंबी कानूनी लड़ाई
- 2020 में अमेरिका से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू
- जून 2023 में भारत लाया गया
3. वर्तमान स्थिति
- NIA को 18 दिन की कस्टडी मिली
- पूछताछ में नए खुलासे की उम्मीद
चौथा चैप्टर: अभी भी बाकी है न्याय की राह
1. पाकिस्तान में मामले की स्थिति
- 7 आरोपियों पर मुकदमा चला
- कोई ठोस परिणाम नहीं निकला
2. भारत की मांग
- साजिशकर्ताओं को भारत सौंपे
- अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए रखना
3. पीड़ित परिवारों का संघर्ष
- न्याय और मुआवजे की मांग
- स्मारक और स्मरण कार्यक्रम
अधूरा इंसाफ, जारी है लड़ाई
26/11 हमले के 15 साल बाद भी पूरा न्याय नहीं मिल पाया है। जहां एक ओर कसाब को फांसी मिली, वहीं पाकिस्तान में बैठे मुख्य साजिशकर्ता अभी भी खुले घूम रहे हैं। तहव्वुर राणा की जांच से नए सुराग मिलने की उम्मीद है। यह मामला न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का प्रतीक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों को भी उजागर करता है।
