भारत की एफडीआई यात्रा: 1 ट्रिलियन डॉलर का ऐतिहासिक मुकाम हासिल
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में 26% की वृद्धि के साथ 42.1 बिलियन डॉलर हो गई
भारत ने अपनी आर्थिक प्रगति और वैश्विक निवेशकों के बढ़ते विश्वास के साथ एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। देश का एफडीआई प्रवाह अब 1 ट्रिलियन डॉलर के महत्वपूर्ण आंकड़े को छू चुका है। यह उपलब्धि भारत की मजबूत आर्थिक नीतियों और निवेश-अनुकूल वातावरण का परिणाम है।
एफडीआई में भारत की बड़ी छलांग
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में एफडीआई के क्षेत्र में लगातार वृद्धि दर्ज की है।
- कारोबार करने में आसानी: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में सुधार ने निवेशकों को आकर्षित किया।
- नीति सुधार: सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को सरल बनाया है।
- प्रमुख क्षेत्र: मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप्स, और इंफ्रास्ट्रक्चर में एफडीआई का बड़ा प्रवाह हुआ है।
एफडीआई की यात्रा: किन नीतियों ने दी रफ्तार?
- मेक इन इंडिया: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली योजना।
- स्टार्टअप इंडिया: स्टार्टअप्स के लिए निवेश का अनुकूल माहौल।
- डिजिटल इंडिया: तकनीकी क्षेत्रों में विदेशी निवेश को बढ़ावा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: स्मार्ट सिटी और हाइवे प्रोजेक्ट्स में वैश्विक निवेश।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत की यह उपलब्धि वैश्विक निवेशकों के भारत पर भरोसे को दर्शाती है।
किन क्षेत्रों में सबसे अधिक एफडीआई आया?
भारत में विदेशी निवेश के सबसे बड़े आकर्षण बने कुछ प्रमुख क्षेत्र:
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT)
- ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग
- टेलीकॉम और डिजिटल सेक्टर
- ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का 1 ट्रिलियन डॉलर एफडीआई का आंकड़ा छूना न केवल एक आर्थिक उपलब्धि है, बल्कि आने वाले वर्षों में यह वैश्विक निवेश का हब बनने की दिशा में बड़ा कदम है।
एफडीआई का महत्व
- रोजगार सृजन: विदेशी निवेश से नई नौकरियां पैदा होती हैं।
- आर्थिक विकास: इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास को बढ़ावा।
- तकनीकी उन्नति: नई तकनीकों और इनोवेशन को भारत में लाना।