विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा: ऊर्जा और रक्षा सहयोग में वृद्धि की दिशा में अहम बैठकें
एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा: ऊर्जा और रक्षा साझेदारी को नई दिशा
“भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण बैठकों का आयोजन किया। वॉशिंगटन डीसी में उन्होंने अमेरिकी ऊर्जा सचिव क्रिस राइट और रक्षा मंत्री पीट हेकसेथ से मुलाकात की। इन मुलाकातों में भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा और रक्षा सहयोग को और बढ़ाने पर गंभीर चर्चा की गई। एस. जयशंकर की यह यात्रा अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के निमंत्रण पर आयोजित की गई थी, और यह भारत-अमेरिका रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ने का अवसर बन गई।”
ऊर्जा क्षेत्र में भारत-अमेरिका की साझेदारी
भारत में ऊर्जा परिवर्तन के प्रयासों के बीच, एस. जयशंकर और क्रिस राइट के बीच बैठक ने भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी को और मजबूत करने के अवसरों पर प्रकाश डाला। विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा, "अमेरिकी ऊर्जा सचिव क्रिस राइट से वॉशिंगटन में मुलाकात कर भारत में हो रहे ऊर्जा परिवर्तन और भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी को गहरा करने के अवसरों पर सार्थक बातचीत हुई।"
भारत में ऊर्जा क्षेत्र में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनका असर न सिर्फ देश की आंतरिक जरूरतों पर, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों पर भी पड़ रहा है। इन परिवर्तनों को देखते हुए भारत और अमेरिका दोनों देशों ने साझा हितों और अवसरों को पहचानते हुए अपनी ऊर्जा नीति को सुदृढ़ करने पर चर्चा की। इस बैठक से यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे से सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
रक्षा सहयोग: भारत-अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी
एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा के दौरान एक और महत्वपूर्ण बैठक पेंटागन में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेकसेथ से हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाने पर चर्चा की गई। जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी "दोनों देशों के रिश्तों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक" है। उन्होंने कहा, "हमारे बीच के संबंध अब रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हो चुके हैं, जिसमें हमारे हितों, क्षमताओं और जिम्मेदारियों का मेल है।"
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता हुआ रक्षा सहयोग वैश्विक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह साझेदारी दोनों देशों को न केवल दक्षिण एशिया में, बल्कि समग्र Indo-Pacific क्षेत्र में भी सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने में मदद कर रही है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य अभ्यासों में भागीदारी बढ़ाने, हथियारों के व्यापार को बढ़ावा देने और आपसी रक्षा तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति जताई।
क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक: हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विशेष ध्यान
एस. जयशंकर ने इस यात्रा के दौरान वॉशिंगटन डीसी में क्वाड (Australia, Japan, India, United States) विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया। यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रणनीतिक स्थिरता और स्वतंत्रता को बनाए रखने पर केंद्रित थी। बैठक के बाद जयशंकर ने 'एक्स' पर लिखा, "वॉशिंगटन में क्वाड विदेश मंत्रियों की एक बहुत ही सकारात्मक बैठक पूरी हुई, जिसमें आधुनिक अवसरों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्वाड को और प्रभावी बनाने पर चर्चा की गई।"
क्वाड के सदस्य देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, समावेशी और विकासशील बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इस बैठक के दौरान विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के उपायों पर चर्चा हुई और इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी देशों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया।
द्विपक्षीय चर्चा: व्यापार, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग
क्वाड बैठक के बाद, एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी एक अलग बैठक की। दोनों मंत्रियों के बीच व्यापार, सुरक्षा, अत्याधुनिक तकनीकों, कनेक्टिविटी, ऊर्जा और आवागमन जैसे द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। जयशंकर ने इसे एक सकारात्मक और लाभकारी बैठक बताया। उन्होंने कहा, "विदेश मंत्री रुबियो के साथ द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा करना सुखद अनुभव रहा।"
इसी तरह, विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग से भी मुलाकात की। दोनों के बीच भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। जयशंकर ने इस बैठक को भी "विश्वास और सहयोग की भावना" से भरी बताया।
भारत-जापान संबंधों में नई ऊर्जा
एस. जयशंकर ने जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया से भी मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच आने वाले सालों में द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने के लिए रणनीतियाँ तैयार की गईं। खासकर, इस वर्ष भारत-जापान प्रधानमंत्री स्तरीय वार्षिक सम्मेलन की तैयारियों पर विचार किया गया। दोनों देशों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फुमियो इशिबा ने हाल ही में कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी, और अब दोनों देश इन रिश्तों में नई ऊर्जा लाने के लिए काम कर रहे हैं।
“एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा ने यह साबित किया कि भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा, रक्षा, और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्र में कई नए अवसर खुल रहे हैं। इन महत्वपूर्ण बैठकों से यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों देशों के बीच सहयोग न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक विकास, और क्षेत्रीय स्थिरता में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। भारत की विदेश नीति के इस सक्रिय और संवेदनशील दृष्टिकोण से यह उम्मीद की जा सकती है कि दोनों देशों के बीच भविष्य में और अधिक साझेदारियां और अवसर उभरेंगे, जो दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को साझा करते हुए वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।”
