बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदाता सूची से कटेंगे अवैध नाम, विपक्ष की नींद उड़ी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतदाता सूची से कटेंगे अवैध नाम, विपक्ष चिंतित
“बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत कर दी है। इस पुनरीक्षण अभियान के दौरान, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अवैध मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे। इसमें नेपाली, बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों के नाम भी शामिल हो सकते हैं, जो अब तक ग़लत तरीके से मतदाता सूची में शामिल हो गए थे। इसको लेकर विपक्षी दलों, विशेष रूप से राजद और कांग्रेस, की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि उन्हें डर है कि इन मतदाताओं के नाम कटने से उनकी पार्टी के समर्थक भी प्रभावित हो सकते हैं।”
मतदाता सूची में नाम कटने की संभावना
बिहार में इस बार मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान में यह संभावना जताई जा रही है कि कई वर्षों से वोट डालने वाले अवैध मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे। इनमें नेपाली, बांग्लादेशी और म्यांमार के लोग शामिल हैं, जिनके नाम विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची में जुड़वाए गए थे। चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम सुनिश्चित करेगा कि केवल वैध नागरिकों के नाम ही मतदाता सूची में शामिल हों। हालांकि, विपक्षी दलों को डर है कि उनके समर्थक, जिनके पास सही दस्तावेज़ नहीं हो सकते, उनके नाम भी कट सकते हैं।
विपक्ष का डर – सीमांचल में प्रभाव
विपक्षी दलों को विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र को लेकर चिंता सता रही है। सीमांचल में पिछले चुनाव में राजद और कांग्रेस गठबंधन को अच्छी जीत मिली थी, और इस क्षेत्र में असद्दुदीन ओवैसी की एआईएमआईएम भी काफी मजबूत स्थिति में थी। इस इलाके में नेपाली, बांग्लादेशी और म्यांमार से आए लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। यदि इनके नाम मतदाता सूची से कटते हैं, तो इसका सीधा असर विपक्षी दलों की संभावनाओं पर पड़ सकता है, क्योंकि यह वोट बैंक उनके लिए महत्वपूर्ण है।
आयोग का स्पष्टीकरण – अवैध नाम हटेंगे
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि वे सभी अवैध मतदाताओं के नाम सूची से हटा देंगे। आयोग ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया के दौरान वे सभी दस्तावेज़ों की जांच करेंगे और जो लोग वैध प्रमाण प्रस्तुत करने में असमर्थ होंगे, उनके नाम काटे जाएंगे। आयोग की यह कार्रवाई मतदाता सूची को पारदर्शी और सही बनाने के उद्देश्य से है, ताकि केवल असली नागरिकों के नाम ही सूची में शामिल रहें।
चुनाव आयोग का निर्णय – क्यों जरूरी है यह पुनरीक्षण?
चुनाव आयोग के द्वारा यह पुनरीक्षण अभियान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार के ग़लत तरीके से मतदाता सूची में नाम न जुड़े हों। विशेष रूप से उन लोगों के नाम हटाए जाएंगे, जो अवैध रूप से अन्य देशों से आकर मतदाता सूची में शामिल हुए थे। आयोग का यह कदम चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस और राजद की चिंता – समर्थकों का क्या होगा?
राजद और कांग्रेस को यह डर सता रहा है कि उनके समर्थक जिनके पास जरूरी दस्तावेज़ नहीं हो सकते, उनके नाम भी कट सकते हैं। इन दलों का मानना है कि अवैध मतदाताओं के नाम काटने के बाद उनका समर्थन करने वाले गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोग प्रभावित हो सकते हैं, जो दस्तावेज़ों की कमी के कारण सूची में शामिल नहीं हो पाएंगे।
क्या है गहन पुनरीक्षण अभियान?
गहन पुनरीक्षण अभियान (SIR) चुनाव आयोग द्वारा एक विशेष प्रक्रिया के रूप में चलाया जाता है, जिसमें घर-घर जाकर मतदाता सूची को अद्यतन किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मतदान करने के पात्र लोगों के नाम, दस्तावेज़ों के साथ सत्यापित किए जाते हैं। इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वैध नागरिक ही वोट डाल सकें और कोई भी अवैध व्यक्ति मतदाता सूची में न हो।
क्या होगी आगे की प्रक्रिया?
चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि पुनरीक्षण अभियान के बाद सभी गलत नामों को सूची से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि वे एक खुलासा करेंगे, जिसमें उन लोगों के नाम होंगे जिनके दस्तावेज़ नहीं पूरे पाए गए। इस प्रक्रिया के बाद सूची को अंतिम रूप से प्रकाशित किया जाएगा, और यह सभी नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
इस पुनरीक्षण अभियान के साथ बिहार विधानसभा चुनाव 2025 एक नए मोड़ पर पहुंचता हुआ दिख रहा है। जहां एक ओर यह चुनाव आयोग की तरफ से एक गंभीर कदम है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे एक रणनीतिक कदम मानते हुए अपनी चिंता जाहिर कर रहा है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग के इस फैसले का असर चुनाव परिणामों पर क्या पड़ता है, और क्या यह विपक्षी दलों के लिए एक चुनौती बन सकता है।
