नई पहल: कार्यालयों में तेल और चीनी बोर्ड लगाने की सलाह, स्वस्थ जीवनशैली की ओर कदम
स्वास्थ्य मंत्रालय की नई पहल: तेल और चीनी बोर्ड से जागरूकता बढ़ेगी
“केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण सलाह (Advisory) जारी की है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को कार्यस्थल पर छिपे हुए वसा (Fat) और अतिरिक्त चीनी (Sugar) के सेवन के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना है। यह सलाह मंत्रालय के राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) के तहत लाई गई है।”
तेल और चीनी बोर्ड क्या होते हैं और क्यों निर्देश्य हैं?
तेल और चीनी बोर्ड वे सूचना बोर्ड होते हैं जिन्हें कार्यालयों की कैंटीन, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों के पास लगाया जाता है। इन बोर्डों का ही यह उद्देश्य है:
- आम खाद्य पदार्थों में छिपे अत्यधिक तेल और चीनी की जानकारी देना
- लोगों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करना
- मोटापे, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचाव करना
- स्वास्थ्य के प्रति दैनिक स्मरण के रूप में कार्य करना
भ्रामक खबरों का मंत्रालय ने खंडन किया
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि मंत्रालय ने समोसा, जलेबी, लड्डू जैसे पारंपरिक भारतीय स्नैक्स पर "चेतावनी लेबल" लगाने का निर्देश दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पर स्थिति स्पष्ट की है कि यह सलाह सिर्फ कार्यस्थलों पर व्यवहारिक संकेत (Behavioural Nudge) के रूप में है, न कि किसी खाद्य उत्पाद या विक्रेता के खिलाफ कोई प्रतिबंध।
फोकस: लोगों को सोच-समझकर खाने की प्रेरणा देना
स्वास्थ्य मंत्रालय का उद्देश्य यह नहीं है कि किसी विशेष व्यंजन या खाद्य उत्पाद को प्रतिबंधित किया जाए, बल्कि लोगों को यह सिखाना है कि "कितना और क्या खाना सही है"। इस तरह के बोर्ड लोगों के व्यवहार को धीरे-धीरे बदलने में मदद करते हैं। यह पूरी तरह से स्वैच्छिक और परामर्शात्मक प्रकृति की पहल है, जो कोई कानूनी बाध्यता नहीं लाती।
किन-किन जागों पर लगाने की दी गई है सलाह?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह प्रतिकूल निराशा अधिग्रहित करने की सलाह दी है कि ये बोर्ड निम्नलिखित स्थानों पर लगाए जाएं:
- मुख्यालय की लॉबी
- मीटिंग हॉल और कॉन्फ्रेंस रूम
- ऑफिस कैंटीन और कैफेटेरिया
- टॉयलेट और लिफ्ट के पास की दीवारों पर
स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की कुल योजना
यह पहल तेल और चीनी के साथ ही संबंधित नहीं है। इसके तहत अन्य स्वस्थ आदतों को अपनाने की भी सलाह दी गई है, जैसे:
- फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाना
- सीढ़ियों का उपयोग करना
- छोटे-छोटे व्यायाम ब्रेक लेना
- पैदल चलने के मार्ग को प्रोत्साहित करना
- कम वसा और कम चीनी वाले विकल्पों को प्राथमिकता देना
तेल और चीनी की अधिकता से होने वाले खतरे
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह सलाह इसलिए दी है क्योंकि भारतीय समाज में अत्यधिक तेल और चीनी का सेवन सामान्य हो गया है। इसका परिणाम है:
- मोटापा (Obesity)
- टाइप 2 डायबिटीज
- हाइपरटेंशन
- दिल की बीमारियाँ
- किडनी और लीवर की समस्याएं
लक्ष्य क्या है इस पहल का?
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधारना
- लोगों की आदतों को बेहतर बनाना
- भविष्य में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करना
- एक सतत और स्वस्थ कार्यस्थल बनाना
क्यों है यह कदम व्यवहारिक संकेत (Behavioural Nudge)?
Behavioural Nudge का अर्थ है – किसी के व्यवहार को बिना जबरदस्ती बदले, लेकिन प्रेरणा देकर सुधारना। यह पूरी तरह से मनविज्ञान आधारित रणनीति है, जो लोगों के रोजमर्रा के निर्णयों को धीरे-धीरे प्रभावित करती है। यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन प्रभावशाली हो सकती है।
सही जानकारी, बेहतर निर्णय
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी यह परामर्श पूरी तरह से जागरूकता और शिक्षा के उद्देश्य से है। न तो यह किसी खाद्य संस्कृति के विरुद्ध है और न ही यह प्रतिबंधात्मक है। इसके ज़रिये एक ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है जहाँ लोग स्वस्थ आदतें अपनाएं, जानकारी के आधार पर विकल्प चुनें और बीमारियों से बचाव करें।
