सुप्रीम कोर्ट में दायर हुए समय रैना, दो हफ्ता का मिला अल्टीमेटम; जानिए कोर्ट ने यह क्यों कहा- आपकी टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक
समय रैना की विकलांगों पर टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आपकी टिप्पणी बेहद परेशान करने वाली है
“भारत के प्रसिद्ध कॉमेडियन समय रैना की विकलांग व्यक्तियों और दुर्लभ बीमारियों पर की गई टिप्पणियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इन टिप्पणियों को परेशान करने वाली और घृणास्पद माना और इसे व्यक्तिगत आचरण के उल्लंघन के रूप में देखा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने समय रैना को अगली सुनवाई में अदालत में पेश होने और दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।”
क्या था मामला?
समय रैना ने कुछ असंवेदनशील चुटकुले बनाए थे, जिन्हें विकलांग व्यक्तियों और दुर्लभ बीमारियों से ग्रस्त लोगों के बीच नाराजगी और विवाद पैदा कर दिया था। इस विवाद को और गहराया तब हुआ जब क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें इन चुटकुलों को घृणास्पद भाषण बताते हुए इसकी जांच की मांग की गई थी।
कोर्ट ने क्यों दी कड़ी टिप्पणी?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि समय रैना और अन्य कॉमेडियनों द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणियाँ किसी भी तरह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत आने योग्य नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि इन टिप्पणियों का कोई सामाजिक या शैक्षिक उद्देश्य नहीं था और यह केवल विकलांगता का मजाक उड़ा रहे थे, जो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है।
अदालत ने क्या आदेश दिए?
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि समय रैना सहित अन्य कॉमेडियन समय दो हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने समय रैना पर अगली सुनवाई में अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया। यह सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना के असंवेदनशील चुटकुलों पर गहरी आपत्ति जताई और उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत किसी भी प्रकार का संरक्षण देने से इंकार किया। इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि घृणास्पद भाषणों के लिए अभियोग चलाए जा सकते हैं। यह फैसला भारतीय न्यायपालिका की ओर से समाज में समावेशिता और सम्मान की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
क्या कहा था क्योर एसएमए फाउंडेशन ने?
क्योर एसएमए (स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी) फाउंडेशन के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने अदालत में दलील दी है कि समय रैना और अन्य कॉमेडियनों ने की गई टिप्पणियाँ घृणास्पद भाषण हैं और इनसे विकलांग व्यक्तियों को मानसिक आघात पहुंचा है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप किया जाए और इन कॉमेडियनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
समय रैना का पक्ष
वहीं, टाइम रैना ने अपनी टिप्पणी पर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगी है, लेकिन उन्होंने कहा कि वे किसी को भी आहत करना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, "मेरे प्रयास हमेशा से मनोरंजन प्रदान करने के रहे हैं, और मुझे खेद है यदि किसी को इससे चोट पहुंची हो।"
अगली सुनवाई के लिए कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि अगले तीन हफ्ते में इस केस की अगली सुनवाई होगी और समय रैना सहित अन्य कॉमेडियनों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर इन कॉमेडियनों ने पर्याप्त जवाब नहीं दिया, तो कोर्ट उन्हें खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर विचार कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
समय रैना और अन्य कॉमेडियनों द्वारा की गई असंवेदनशील टिप्पणियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में समानता और सम्मान की ओर एक बड़ा कदम है। यह फैसला यह दिखाता है कि घृणास्पद भाषण या विकलांगता का मजाक उड़ाना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इस फैसले से समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक नया कदम रखा गया है।
