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दिल्ली के 43 स्कूलों को बम धमकी भरे ईमेल से मचा हड़कंप, पुलिस जांच में जुटी

दिल्ली के 43 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल से हड़कंप मच गया, विस्फोटक की सूचना झूठी निकली, IFSO जांच में जुट गई

नई दिल्ली – 43 स्कूलों में शुक्रवार की सुबह दिल्ली और गुरुग्राम के एक धमकी भरा ईमेल मिलने के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया। ईमेल में स्कूलों को उड़ाने की धमकी दी गई थी और ईमेल में यह भी कहा गया था कि कक्षाओं में विस्फोटक उपकरण छिपाए गए हैं। हालांकि, दिल्ली पुलिस की बम निरोधक टीम और दमकल विभाग की तरफ से की गई तलाशी के बाद कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। इसका जांच दिल्ली पुलिस की IFSO (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) यूनिट कर रही है।”

क्या ईमेल में लिखा गया था?

धमकी वाला यह ईमेल roadkillmentalhospital@atomicmail.com से भेजा गया था और इसमें निम्नलिखित लिखा गया था:

“कक्षाओं में कई विस्फोटक उपकरण (TNT) छिपाए गए हैं। वे काले प्लास्टिक बैग में रखे गए हैं। मैं तुम सब को इस दुनिया से मिटा दूंगा, कोई नहीं बचेगा। समाचार में देखकर खुशी होगी जब माता-पिता अपने बच्चों के क्षत-विक्षत शव देखेंगे. इसके बाद मैं आत्महत्या करूंगा।”

ईमेल गुरुवार रात 10:53 बजे दिया गया था और शुक्रवार सुबह स्कूल प्रशासन ने जब ईमेल चेक किया, पुलिस को तुरंत सूचित किया गया।

कौन-कौन से स्कूलों को भेजा गया था ईमेल?

धमकी भरे ईमेल दिल्ली और गुरुग्राम के 43 शैक्षिक संस्थानों को भेजे गए, जिनमें शीर्ष नाम ये हैं:

  • पश्चिमी दिल्ली: रिचमंड ग्लोबल, दून पब्लिक स्कूल, डीपीएस रोहिणी
  • दक्षिणी दिल्ली: समरफील्ड इंटरनेशनल, हमदर्द पब्लिक स्कूल, द इंडियन स्कूल
  • पूर्वी दिल्ली: भारती पब्लिक स्कूल, मीरा नर्सरी स्कूल
  • उत्तर दिल्ली: कुलाची हंसराज, सेंट जेवियर्स, सेंट थामस
  • कॉलेज: हिंदू कॉलेज, SRCC, IP कॉलेज for Women

स्कूलों को खाली करा लिया गया और सुरक्षा जांच पूरी होने के बाद ही दोबारा खोला गया।

जांच में क्या सामने आया?

  • कोई भी विस्फोटक उपकरण नहीं मिला।
  • यह ईमेल एस्टोनिया की वेब सेवा AtomicMail.io से भेजा गया था।
  • ईमेल भेजने वाले ने VPN का इस्तेमाल किया जिससे उसकी पहचान छिपी रही।
  • IFSO यूनिट ने ईमेल की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है।

धमकियों का पैटर्न

यह पहली बार नहीं है जब दिल्ली के स्कूलों को ऐसी धमकी मिली है। इस सप्ताह लगातार तीन दिनों तक अलग-अलग स्कूलों को धमकी भरे ईमेल भेजे गए:

  • सोमवार: द्वारका के नेवी चिल्ड्रन स्कूल, चाणक्यपुरी के CRPF स्कूल
  • मंगलवार: सेंट स्टीफन कॉलेज, सेंट थामस स्कूल
  • बुधवार: मदर्स इंटरनेशनल, वसंत वैली, सरदार पटेल विद्यालय

इनमें से ज्यादातर ईमेल अफवाह निकले, लेकिन हर बार स्कूलों को बंद करना पड़ा और छात्रों को मानसिक तनाव झेलना पड़ा।

एक 12 वर्षीय छात्र पकड़ाया था पहले

दूसरे सप्ताह में द्वारका पुलिस ने पकड़ा था एक 12 वर्षीय क्लासी स्कूली छात्र को, जिसने ईमेल के माध्यम से स्कूल बंद कराने के लिए बम की धमकी दी थी। जांच में यह पता चला कि बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता था, इसलिए उसने झूठा मेल भेजा।

साइबर एक्सपर्ट्स की राय

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है:

  • VPN और एन्क्रिप्टेड मेल सर्विस का उपयोग करके हमलावर अपनी पहचान छिपाते हैं।
  • ऐसे मेल Dark Web या टॉर ब्राउज़र से भेजे जा सकते हैं।

बच्चों और किशोरों द्वारा शरारत में भी ऐसे काम किए जा सकते हैं, लेकिन इनका मनोवैज्ञानिक पहलू भी समझना जरूरी है।

अभिभावकों और छात्रों की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद कई अभिभावक और छात्र बेहद घबराए नजर आए:

“हम अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। अगर हर हफ्ते ऐसी धमकियां मिलेंगी, तो पढ़ाई का क्या होगा?” – एक अभिभावक

पुलिस ने क्या कदम उठाए?

  • सभी ईमेल को लेकर FIR दर्ज की गई है।
  • दिल्ली पुलिस के सभी साइबर थाने सक्रिय हैं।
  • बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड तैनात किए गए।
  • अब स्कूलों को मेल के लिए एक विशेष मॉनिटरिंग सिस्टम अपनाने की सलाह दी गई है।

ऐसे मामलों से कैसे निपटा जाए?

स्कूलों के लिए सुझाव:

  • मेल सर्वर और वेबसाइट्स पर स्पैम फिल्टरिंग सिस्टम लगाया जाए।
  • छात्रों के लिए साइबर सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाएं हों।
  • आपातकालीन योजना (Evacuation Plan) को नियमित रूप से प्रैक्टिस कराया जाए।

प्रशासन के लिए सुझाव:

  • विदेशी मेल प्लेटफॉर्म्स पर नजर रखने के लिए साइबर इंटेलिजेंस नेटवर्क मजबूत किया जाए।
  • मेल ट्रैकिंग के लिए AI आधारित निगरानी सिस्टम अपनाया जाए।

“दिल्ली स्कूल बम धमकी ईमेल महज एक साइबर अपराध नहीं, यह शिक्षा व्यवस्था, सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है। जब बच्चों की शिक्षा पर इस तरह का डर मंडराने लगे, तो सरकार और समाज दोनों को मिलकर तत्काल और ठोस समाधान की ओर बढ़ना चाहिए। पुलिस की गंभीरता सराहनीय है, लेकिन अब ज़रूरत है — रोकथाम पर जोर देने की।”

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सुनील शर्मा

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