मंगल पांडे की जयंती पर देश ने दी श्रद्धांजलि, पीएम मोदी बोले- उनका साहस प्रेरणास्रोत
मंगल पांडे की जयंती पर पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
“भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के जननायक मंगल पांडे की जयंती पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा समेत अनेक नेताओं ने मंगल पांडे के साहस, बलिदान और राष्ट्रप्रेम को नमन किया।”
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगल पांडे को दी आदरांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा:
“महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को उनकी जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। वे ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाले अग्रणी योद्धा थे। उनके साहस की कहानी देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।”
प्रधानमंत्री के इस संदेश ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मंगल पांडे का बलिदान भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ चुका है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की श्रद्धांजलि
अमित शाह ने अपने संदेश में लिखा:
“1857 के संग्राम के नायक, अद्वितीय योद्धा व राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा मंगल पांडे जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।”
उन्होंने यह भी कहा कि पांडे जी के नेतृत्व में बैरकपुर छावनी आजादी की चिंगारी का केंद्र बनी, जिससे देशभर में क्रांति की लहर फैल गई।
अन्य केंद्रीय मंत्रियों का सम्मान
- किरण रिजिजू ने मंगल पांडे को “अमर शहीद और मां भारती का वीर सपूत” बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें “प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक” कहा और उनके बलिदान को नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
राज्य सरकारों की श्रद्धांजलि
योगी आदित्यनाथ का श्रद्धा-संदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:
“उनका सर्वोच्च बलिदान स्वतंत्रता की चेतना का प्रथम शंखनाद था और उनकी अमर क्रांति-ज्योति युगों तक हर भारतीय हृदय में राष्ट्रसेवा का दीप जलाती रहेगी।”
हिमंता बिस्वा सरमा की क्रांतिकारी श्रद्धांजलि
असम के मुख्यमंत्री ने लिखा:
“न डर था, न झुकने की सोच, बस आज़ादी का जुनून था। एक नाम, जो बगावत की पहचान बना – मंगल पांडे।”
मंगल पांडे की क्रांति: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण
1857 की शुरुआत का प्रेरक क्षण
1857 में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में गाय और सुअर की चर्बी से बने कारतूसों को जबरन उपयोग करने का आदेश दिया गया, तब मंगल पांडे ने इसका विरोध करते हुए बैरकपुर में विद्रोह छेड़ दिया। उनका विद्रोह केवल एक सैनिक आंदोलन नहीं था, बल्कि वह आजादी की पहली चिंगारी थी जिसने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में झोंक दिया।
बलिदान की कहानी जो युगों तक गूंजेगी
मंगल पांडे को ब्रिटिश सरकार ने 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी, लेकिन उनके साहस और विद्रोह ने उस आग को हवा दी जिसने वर्षों बाद 15 अगस्त 1947 को भारत की आज़ादी का रास्ता खोला।
युवाओं के लिए प्रेरणा
आज के समय में जब देश आत्मनिर्भर भारत और नवभारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब मंगल पांडे जैसे वीरों की गाथाएं युवा पीढ़ी को राष्ट्रसेवा, साहस और बलिदान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
“मंगल पांडे की जयंती केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह उस क्रांतिकारी भावना की याद है जिसने भारत को आज़ादी की ओर अग्रसर किया। आज जब देश उन्हें नमन कर रहा है, तो यह हमारे लिए भी एक अवसर है कि हम उनके जैसे वीरों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।”
