कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात में 2025 की पहली तिमाही में 7% की वृद्धि
कृषि उत्पादों का निर्यात 2025: पहली तिमाही में 7% की वृद्धि, चावल और मांस प्रमुख योगदानकर्ता
“भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून 2025 के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का 5.96 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 7% अधिक है, जो इस क्षेत्र की लगातार बढ़ती वैश्विक मांग को दर्शाता है।”
चावल के निर्यात में बढ़त, बासमती और गैर-बासमती दोनों की मांग
इस तिमाही में चावल का कुल निर्यात 2.9 अरब डॉलर रहा, जो 3.5% की वृद्धि को दर्शाता है।
- वित्त वर्ष 2024 में भारत ने कुल 12.47 अरब डॉलर मूल्य का चावल निर्यात किया था।
- यह वर्ष-दर-वर्ष 20% की बढ़त थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देशों में कम स्टॉक के चलते भारतीय चावल की अंतरराष्ट्रीय मांग में इजाफा हुआ है। इससे आगामी तिमाहियों में चावल निर्यात और अधिक बढ़ने की संभावना है।
मांस, फल और सब्जियों ने भी बढ़ाया निर्यात ग्राफ
- मांस उत्पादों की वैश्विक मांग स्थिर बनी हुई है।
- फल और सब्जियां, विशेष रूप से अंगूर, अनार, आम, और केले का निर्यात बढ़ा है।
- मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों में इन उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है।
मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) ने खोले नए द्वार
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी कि भारत ने कई विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements) किए हैं, जिनके कारण:
- निर्यात शुल्क में कमी आई है
- प्रवेश बाधाएं कम हुई हैं
- और भारतीय कृषि उत्पादों को नई वैश्विक बाजारों तक पहुंच मिली है
प्रमुख एफटीए साझेदार:
- ऑस्ट्रेलिया
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
- EFTA देश (स्विट्जरलैंड, नॉर्वे आदि)
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
सरकारी योजनाएं: किसानों को मिली मजबूती
सॉइल हेल्थ कार्ड योजना
सरकार ने अब तक 25 करोड़ से अधिक सॉइल हेल्थ कार्ड किसानों को वितरित किए हैं। इससे:
- किसान संतुलित उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं
- फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार आया है
किसान क्रेडिट कार्ड योजना
किसानों को कृषि ऋण सरलता से उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे:
- वे बीज, खाद, सिंचाई और फसल बीमा जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं
- उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता भी बढ़ी है
वैश्विक अनिश्चितता के बीच निर्यात में मजबूती
वाणिज्य मंत्री ने यह भी माना कि वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता, यूक्रेन संघर्ष, और कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसे कारकों ने निर्यात को प्रभावित किया है। इसके बावजूद भारत का कृषि और खाद्य निर्यात क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। यह देश के किसानों की मेहनत और सरकार की रणनीतिक नीतियों का ही परिणाम है।
4 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त निर्यात लक्ष्य प्राप्त
भारत का कृषि, पशुपालन और मत्स्य क्षेत्र अब संयुक्त रूप से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात कर रहा है। यह आंकड़ा भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में रोजगार, आय और सतत विकास को नई दिशा देता है।
कृषि उत्पादों का निर्यात 2025: भविष्य की दिशा
अवसर और चुनौतियां
- भारत के पास कृषि उत्पादों की विविधता और मात्रा की बड़ी ताकत है।
- अब आवश्यकता है कि उच्च गुणवत्ता, ब्रांडिंग और वैल्यू एडिशन के साथ निर्यात को और बढ़ाया जाए।
कृषि आधारित MSMEs को समर्थन
- फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स और कृषि स्टार्टअप्स को निर्यात का हिस्सा बनाना जरूरी है।
- एक्सपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स, और ई-मार्केट एक्सेस जैसे पहलुओं पर सरकार को और निवेश करने की जरूरत है।
“कृषि उत्पादों का निर्यात 2025 में पहली तिमाही की यह 7% वृद्धि बताती है कि भारत वैश्विक कृषि बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना रहा है। सरकार की FTA नीतियों, किसानों की मेहनत और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं ने मिलकर इस सफलता को संभव बनाया है। यदि यह गति बनी रही, तो भारत कृषि निर्यात के क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर के रूप में उभरेगा।”
