संसद ठप होने पर मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर साधा निशाना, बताया करोड़ों रुपये के नुकसान का जिम्मेदार
संसद कार्यवाही बाधित होने पर मंत्री किरेन रिजिजू का बयान, कहा- देश का हो रहा भारी नुकसान
“भारत की संसद का मानसून सत्र देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है। लेकिन 2025 के मानसून सत्र के दूसरे दिन, मंगलवार को संसद की कार्यवाही एक बार फिर बाधित रही। दोनों सदनों की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के चलते दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। इस पर संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष को दोहरे मानदंड अपनाने का दोषी ठहराया और कहा कि इससे देश के करोड़ों रुपये बर्बाद हो रहे हैं।”
लोकसभा में बार-बार स्थगन के बाद सरकार का अनुरोध
मंत्री रिजिजू ने लोकसभा में कहा कि विपक्ष बार-बार चर्चा की मांग कर रहा है और सरकार इसकी स्वीकृति भी दे रही है। फिर भी विपक्ष सदन को बाधित कर रहा है। उन्होंने कहा कि “सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष सभी मुद्दों पर एक साथ चर्चा चाहता है, जो संभव नहीं है।”
करोड़ों रुपये के नुकसान की बात
रिजिजू ने स्पष्ट रूप से कहा कि संसद का ठप रहना केवल राजनीतिक नाटक नहीं है, बल्कि इसका देश की जनता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। संसद में एक दिन का व्यवधान करोड़ों रुपये का नुकसान करता है, जो करदाताओं की जेब से जाता है। ऐसे में विपक्ष का यह रवैया निंदनीय है।
राज्यसभा में भी रहा हंगामा
राज्यसभा में भी विपक्ष का विरोध जारी रहा, जिसके कारण कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। उपसभापति हरिवंश को अंततः दिनभर के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने भी विपक्ष से अनुरोध किया कि शांति से चर्चा की जाए और संसद की गरिमा को बनाए रखा जाए।
पीठासीन अधिकारी ने जताई नाराजगी
लोकसभा के पीठासीन अधिकारी दिलीप सैकिया ने कहा कि सदन में प्लेकार्ड और पोस्टर लाना लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने विपक्ष से सहयोग की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा।
संसद के पहले दिन से ही व्यवधान
यह स्थिति सिर्फ दूसरे दिन ही नहीं, बल्कि पहले दिन से ही दोनों सदनों में हंगामे के हालात बने हुए हैं। विपक्ष पहलगाम मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार की ओर से यह बताया गया कि इस विषय पर उचित नियमों के तहत चर्चा की जाएगी।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की पृष्ठभूमि भी बनी चर्चा का विषय
इस हंगामे के बीच एक बड़ी खबर यह भी रही कि राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह घटना भी संसद के सत्र को प्रभावित कर रही है, और चर्चा का विषय बनी हुई है।
आगे क्या?
सरकार ने संकेत दिया है कि वह चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है, बशर्ते विपक्ष सहयोग करे। लोकतंत्र में संवाद की अहम भूमिका होती है, और अगर संसद ही संवाद का मंच न बन सके, तो यह संविधान और जनता दोनों के साथ अन्याय है।
