भारत-नेपाल सुरक्षा सहयोग को नई मजबूती: नई दिल्ली में हुई गृह सचिव स्तरीय वार्ता में अहम फैसले
भारत नेपाल सुरक्षा सहयोग को लेकर अहम बैठक में क्या हुआ?
"भारत और नेपाल के बीच 23 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में गृह सचिव स्तर की वार्ता आयोजित की गई। यह वार्ता भारत के गृह सचिव गोविंद मोहन और नेपाल के गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवादी के नेतृत्व में हुई। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग और सीमा प्रबंधन पर गहन चर्चा की और इसे और मजबूत करने पर सहमति जताई।"
भारत नेपाल सुरक्षा सहयोग को लेकर क्या-क्या तय हुआ?
इस बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए जो भारत-नेपाल संबंधों को नई दिशा देंगे। कुछ मुख्य सहमतियां इस प्रकार हैं:
आपराधिक मामलों में सहयोग
दोनों देशों ने पारस्परिक कानूनी सहायता समझौते (Mutual Legal Assistance Treaty) के मसौदे को अंतिम रूप देने का स्वागत किया।(Extradition Treaty)
साथ ही, संशोधित प्रत्यर्पण संधि को शीघ्र संपन्न करने की दिशा में काम करने पर सहमति बनी।
सीमा प्रबंधन में सुधार
भारत-नेपाल सीमा पर बेहतर प्रबंधन के लिए निम्नलिखित पहल तय की गई:
सीमा स्तंभों की मरम्मत और रखरखावसीमा पार आपराधिक गतिविधियों पर निगरानीसीमा जिला समन्वय समितियों के सशक्तिकरण- ICPs
(एकीकृत जांच चौकियों) का विकास सीमावर्ती सड़क और रेलवे नेटवर्क को सुदृढ़ करना
अगली बैठक नेपाल में होगी
बैठक में यह भी तय किया गया कि अगली गृह सचिव स्तरीय वार्ता नेपाल में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर आयोजित की जाएगी। इससे द्विपक्षीय संबंधों में निरंतरता बनी रहेगी।
आपदा प्रबंधन में सहयोग पर चर्चा
भारत और नेपाल दोनों ने आपदा प्रबंधन को भी गंभीरता से लिया और आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction) में सहयोग को सुदृढ़ करने के उपायों पर चर्चा की। इसमें सामूहिक क्षमता निर्माण और तकनीकी सहयोग जैसे पहल शामिल हैं।
भारत नेपाल सुरक्षा सहयोग क्यों है ज़रूरी?
भारत और नेपाल के बीच1,751किलोमीटर की खुली सीमा है, जिससे अवैध गतिविधियों की आशंका बनी रहती है।दोनों देशों के नागरिक सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से जुड़े हुए हैं।सीमावर्ती क्षेत्रों की शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना दोनों देशों की प्राथमिकता है।
"भारत और नेपाल के बीच 23 जुलाई को हुई बैठक में भारत नेपाल सुरक्षा सहयोग को लेकर कई ठोस कदमों पर सहमति बनी। यह न केवल दोनों देशों की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि सीमावर्ती लोगों के लिए भी शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।"
