कोयला मंत्रालय ने डिजिटल परिवर्तन में नया कदम बढ़ाया, एसडब्ल्यूसीएस अन्वेषण मॉड्यूल पर कार्यशाला आयोजित
कोयला मंत्रालय ने 25 जुलाई 2025 को एक ही स्थान पर मंजूरी प्रणाली (एसडब्ल्यूसीएस) के अन्वेषण मॉड्यूल पर एक व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला नई दिल्ली के स्कोप कॉम्प्लेक्स में हुई, और इसका मुख्य उद्देश्य हितधारकों को इस मॉड्यूल की कार्यक्षमताओं के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करना था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य अन्वेषण प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी, दक्ष और स्वचालित बनाना था।
कोयला मंत्रालय का डिजिटल परिवर्तन की ओर कदम
कोयला मंत्रालय ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कोयला क्षेत्र की अनुमोदन प्रक्रियाओं को त्वरित और सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। एसडब्ल्यूसीएस का अन्वेषण मॉड्यूल इस डिजिटल परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस मॉड्यूल को 4 जुलाई 2025 को केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी किशन रेड्डी द्वारा लॉन्च किया गया था, और इसके जरिए भारत के कोयला क्षेत्र में मैन्युअल प्रक्रियाओं की जगह पूरी तरह से डिजिटल प्रणाली को अपनाया जाएगा। इस कदम से पारदर्शिता, दक्षता, और स्वचालित संचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अनुमोदन प्रक्रिया में विलंब कम होगा और अधिक जिम्मेदार तंत्र विकसित होगा।
प्रशिक्षण कार्यशाला और संवादात्मक सत्र
इस कार्यशाला में अपर सचिव एवं नामित प्राधिकारी (एएस और एनए) सुश्री रूपिंदर बरार ने अध्यक्षता की। उन्होंने सत्र के दौरान कोयला क्षेत्र में अनुमोदन प्रक्रियाओं के डिजिटल परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि एसडब्ल्यूसीएस पोर्टल का सक्रिय उपयोग और इसके साथ जुड़ना हितधारकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से वे पारदर्शिता, जवाबदेही, और कुशल संचालन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
सत्र में सीएमपीडीआईएल के सहयोग से अन्वेषण मॉड्यूल का विस्तृत प्रदर्शन किया गया, जिसमें भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जीआर) योजनाओं, प्रगति अद्यतन, अनुपालन दाखिलों, और अंतिम जीआर की प्रस्तुति, मूल्यांकन और अनुमोदन प्रक्रिया पर गहन जानकारी दी गई। इसके बाद, कार्यशाला में प्रतिभागियों के प्रश्नों और चिंताओं का समाधान किया गया। इससे हितधारकों को मॉड्यूल की कार्यक्षमताओं के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त हुई और उन्होंने डिजिटल अनुमोदन के महत्व को समझा।
एसडब्ल्यूसीएस की भूमिका और भविष्य
एसडब्ल्यूसीएस (Single Window Clearance System) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो खनन योजनाओं, खदान खोलने की अनुमति, और पर्यावरण एवं वन मंजूरी जैसी महत्वपूर्ण मंजूरियों को एकीकृत तरीके से प्रदान करता है। यह प्रणाली 11 जनवरी 2021 से सक्रिय है और इसने पूरे कोयला क्षेत्र में डिजिटल तालमेल और इंटर-मंत्रालयी समन्वय को सक्षम बनाया है। एसडब्ल्यूसीएस के साथ अब अन्वेषण मॉड्यूल को जोड़ा जा रहा है, जिससे अनुमोदन प्रक्रिया को और भी सुगम और संचालित किया जा सकेगा।
एसडब्ल्यूसीएस अन्वेषण मॉड्यूल के जरिए अब सभी प्रकार की अन्वेषण अनुमोदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाएगा। यह प्रणाली ट्रैकिंग, स्वचालित संचार, और संरचित समयसीमा प्रदान करेगी, जिससे अनुमोदन में विलंब कम होगा और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का बढ़ता महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलें कोयला मंत्रालय की इस पहल से मेल खाती हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कोयला क्षेत्र में दक्षता, पारदर्शिता, और गति को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो भारत के विकसित भारत और स्मार्ट कोल इंडिया के दृष्टिकोण को साकार करने में सहायक साबित होगा। इस प्रयास से, कोयला मंत्रालय भारत के खनिज क्षेत्र में बेहतर संचालन और सुरक्षित वातावरण के निर्माण में सक्षम होगा।
हितधारकों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यशाला में कोयला ब्लॉक आवंटियों, मान्यता प्राप्त अन्वेषण एजेंसियों, और वरिष्ठ तकनीकी कर्मियों सहित विभिन्न हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। हितधारकों ने इस डिजिटल मॉड्यूल की उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं की सराहना की, जिससे मंज़ूरियों की प्रक्रिया अधिक सरल और कुशल बन गई है।
कोयला मंत्रालय ने इस डिजिटल पहल को बढ़ावा देते हुए इस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। हितधारकों को इस पहल से अच्छे परिणामों की उम्मीद है, और वे इसे पूरी तरह से अपनाने के लिए उत्साहित हैं।
निष्कर्ष
कोयला मंत्रालय की इस डिजिटल परिवर्तन पहल का एसडब्ल्यूसीएस अन्वेषण मॉड्यूल एक अहम हिस्सा है, जो भारत के कोयला क्षेत्र को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। इससे कोयला क्षेत्र में न केवल अनुमोदन प्रक्रियाओं को तेज़ किया जाएगा, बल्कि इसके माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस पहल को अपनाकर भारत अपनी विकसित भारत और डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है।
कोयला मंत्रालय का यह कदम भारतीय कोयला क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हुए स्मार्ट और कुशल संचालन के लिए तैयार कर रहा है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति और अधिक मजबूत होगी।
