भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर ट्रंप के पुराने और नए बयानों में विरोधाभास क्यों?
भारत की अर्थव्यवस्था पर ट्रंप के बयानों का सच, क्या 2019 में उनका कहा सही था?
“भारत की अर्थव्यवस्था पर ट्रंप का बयान एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर एक विवादित टिप्पणी की, जिसे विपक्षी दलों ने तुरंत लपक लिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन उनकी अपनी पार्टी और सहयोगी दलों ने ही इस बयान से दूरी बना ली। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था पर राय दी हो। 2019 में ट्रंप ने खुद भारत को ‘पर्याप्त विकसित’ देश माना था, जब अमेरिका ने भारत को GSP (Generalized System of Preferences) के तहत दी जाने वाली व्यापारिक छूट वापस ली थी। इस विरोधाभास से सवाल खड़े होते हैं—2019 में ट्रंप की बात सही थी या अब की?”
2019 में अमेरिका ने भारत को क्यों माना था ‘विकसित’?
Generalized System of Preferences के तहत विकासशील देशों को अमेरिका विशेष व्यापारिक छूट देता है। 2019 में अमेरिका ने यह छूट भारत से वापस ले ली थी। कारण बताया गया कि भारत अब एक "पर्याप्त विकसित अर्थव्यवस्था" है और उसे किसी विशेष व्यापार सहायता की ज़रूरत नहीं। इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि अमेरिका ने भी भारत की आर्थिक ताकत को मान्यता दी थी। ऐसे में अब यदि वही ट्रंप भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर बताएं, तो यह खुद उनके पुराने रुख के खिलाफ जाता है।
मोदी सरकार के तहत आर्थिक ग्रोथ में आया तेजी से सुधार
2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब भारत की GDP करीब 2 ट्रिलियन डॉलर थी। आज यह लगभग 3.9 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच चुकी है। IMF का अनुमान है कि भारत 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। 2025 में IMF ने भारत की ग्रोथ रेट को 6.8% बताया है। OECD, ADB और World Bank जैसे संगठन भी भारत की ग्रोथ को 6.5% से 7% के बीच रख रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ है।
विदेशी निवेश का बढ़ता भरोसा
भारत में FDI का प्रवाह लगातार बढ़ता गया है।
- 2021-22 में 84 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड FDI आया।
- 2022-23 में 71 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश हुआ, जबकि वैश्विक स्तर पर मंदी थी।
Apple जैसी कंपनियाँ अब भारत को चीन के विकल्प के रूप में देख रही हैं। Tata और Vedanta-Foxconn जैसे समूह सेमीकंडक्टर जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में भारी निवेश कर रहे हैं।
निर्यात और आत्मनिर्भरता की ओर भारत
भारत का मर्चेंडाइज निर्यात 2023-24 में 437 बिलियन डॉलर तक पहुंचा। सेवा क्षेत्र का निर्यात 340 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सेवा निर्यातक देश बन गया है। ये आँकड़े दिखाते हैं कि भारत सिर्फ आयात पर निर्भर नहीं है, बल्कि अब निर्यात में भी अग्रणी बन रहा है।
रोजगार में बढ़ोतरी और डिजिटल क्रांति
EPFO के अनुसार, हर महीने 16 से 18 लाख नए EPF अकाउंट बन रहे हैं, जो संगठित क्षेत्र में रोजगार की वृद्धि को दर्शाता है। UPI के माध्यम से केवल जून 2025 में 18.23 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ। भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट नेटवर्क बन चुका है, जो अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ चुका है।
गरीबी में कमी और सामाजिक योजनाएं
NITI Aayog की रिपोर्ट बताती है कि 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं।
सरकारी योजनाएँ जैसे:
- One Nation One Ration Card
- PM Awas Yojana
- Ujjwala Yojana
- Ayushman Bharat
ने गरीबों को असली फायदा पहुँचाया है।
IMF ने भी भारत की सामाजिक सुरक्षा नीतियों की सराहना की है।
भारत की वैश्विक स्थिति का नया चेहरा
भारत आज G20 का नेतृत्व कर चुका है। International Solar Alliance और Global Biofuels Alliance जैसे वैश्विक मंच भारत की पहल पर बने हैं। भारत ने UAE और रूस से रुपये में व्यापार शुरू कर दिया है। अमेरिका के साथ यह अब सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी बन चुका है।
राजनीतिक बयानों की जिम्मेदारी
ट्रंप का भारत को ‘डेड इकॉनॉमी’ कहना न केवल गलत है बल्कि यह भारत की मेहनती जनता, उद्यमियों और वैज्ञानिकों का अपमान भी है। राजनीतिक बयानबाज़ी को तथ्यों के आधार पर किया जाना चाहिए। जब दुनिया भारत को आर्थिक महाशक्ति मान रही है, तब विपक्ष का ऐसे बयानों पर भरोसा करना खुद उनके तर्कों को कमजोर करता है।
