भारत में बच्चों को 11 मुफ्त टीके मिलते हैं, जानिए टीकाकरण अभियान की पूरी जानकारी
भारत में बच्चों को 11 मुफ्त टीके मिलते हैं, जानिए टीकाकरण अभियान की पूरी जानकारी
"भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए मुफ्त टीके उपलब्ध कराए जाते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में लोकसभा में जानकारी दी कि देश में बच्चों को 11 प्रकार के टीके मुफ्त में दिए जा रहे हैं। इन टीकों के माध्यम से सरकार बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित बनाने के साथ-साथ देश में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास कर रही है।"
भारत में बच्चों को मुफ्त टीके: कौन-कौन से टीके शामिल हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा देश भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के अंतर्गत निम्नलिखित 11 टीके निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं:
- हेपेटाइटिस बी वैक्सीन
- ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी)
- बैसिलस कैल्मेट-गुएरिन वैक्सीन (बीसीजी) – टीबी से बचाव के लिए
- पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन (आईपीवी)
- पेंटावैलेंट वैक्सीन – इसमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, हेपेटाइटिस बी और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी शामिल होते हैं
- रोटावायरस वैक्सीन (आरवीवी) – डायरिया से बचाव
- न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) – निमोनिया से सुरक्षा
- खसरा और रूबेला वैक्सीन (एमआर)
- डिप्थीरिया पर्टुसिस टेटनस वैक्सीन (डीपीटी)
- टेटनस और वयस्क डिप्थीरिया वैक्सीन (टीडी)
- जापानी एन्सेफलाइटिस वैक्सीन (जेई) – विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में
इन टीकों को शिशुओं, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित समय और मानकों के अनुसार दिया जाता है।
नियमित टीकाकरण सत्र: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रयास
देश के सभी जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं। ये सत्र सप्ताह में एक बार होते हैं। आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लाभार्थियों को टीकाकरण के स्थान और समय की जानकारी देती हैं। वे बच्चों के माता-पिता और गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करती हैं। यह रणनीति ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने में काफी सहायक रही है।
टीकाकरण कवरेज बढ़ाने की रणनीतियाँ
सरकार ने टीकाकरण कवरेज को अधिकतम करने के लिए कई रणनीतिक गतिविधियों को लागू किया है, जिनमें शामिल हैं:
- जागरूकता अभियान
- सामाजिक लामबंदी
- परिवार स्तर पर संवाद
- मीडिया भागीदारी
सूचना, शिक्षा और संवाद (IEC) गतिविधियों के माध्यम से लोगों को टीकाकरण के लाभों के बारे में बताया जाता है। इन गतिविधियों के लिए रेडियो जिंगल, टीवी विज्ञापन, यूट्यूब पॉडकास्ट, फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है। स्थानीय स्तर पर पोस्टर, माइकिंग और सामूहिक बैठकों का भी आयोजन किया जाता है।
टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए विशेष सरकारी योजनाएं
सरकार द्वारा पिछले पांच वर्षों में कई अहम पहल की गई हैं ताकि टीकाकरण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम ज्यादा प्रभावी बनें:
- राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर टीकाकरण कार्यबल (STFI, DTFI, BTFI) की स्थापना की गई है ताकि कार्यान्वयन मजबूत हो।
- विशेष कैच-अप टीकाकरण अभियान – छूटे हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को लक्षित कर उन्हें टीका लगाया जाता है।
- सघन मिशन इंद्रधनुष – यह कार्यक्रम कमजोर कवरेज वाले क्षेत्रों को कवर करता है।
- पल्स पोलियो कार्यक्रम और राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (NID) – साल में एक या अधिक बार विशेष पोलियो टीकाकरण अभियान चलाए जाते हैं।
- ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (VHND) – इस दिन विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जाता है।
U-WIN पोर्टल: डिजिटल रिकॉर्ड और निगरानी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण अभियान की निगरानी और प्रबंधन के लिए U-WIN पोर्टल की शुरुआत की है। इस पोर्टल के माध्यम से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का डिजिटल पंजीकरण और रिकॉर्डिंग होती है। इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि किन क्षेत्रों में कवरेज कम है और किसको दोबारा टीका लगवाने की आवश्यकता है।
टीकाकरण का महत्व: बीमारियों से सुरक्षा
टीकाकरण न केवल व्यक्ति को रोगों से बचाता है, बल्कि यह संपूर्ण समाज को महामारी से सुरक्षित करता है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। यदि कोई बच्चा समय पर टीकाकरण नहीं करवाता है, तो वह कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों की चपेट में आ सकता है।
अभिभावकों के लिए सुझाव
- अपने बच्चों का टीकाकरण रिकॉर्ड नियमित रखें।
- आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाकर रखें।
- सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर समय पर टीका लगवाएं।
- अगर किसी टीके के बाद कोई लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- सोशल मीडिया या अफवाहों के आधार पर टीकाकरण में देरी न करें।
