महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दी 14,599 आंगनवाड़ी-सह-क्रेच को मंजूरी, पालना योजना के तहत मिलेगा गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दी 14,599 आंगनवाड़ी-सह-क्रेच को मंजूरी, पालना योजना के तहत मिलेगा गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल
“देश में कामकाजी माताओं के लिए सुरक्षित, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अब तक 14,599 आंगनवाड़ी-सह-क्रेच (AWCC) को मंजूरी दे दी है। इनमें से 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2,448 AWCC पहले ही संचालन में आ चुके हैं। यह जानकारी राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।”
क्या हैं आंगनवाड़ी-सह-क्रेच केंद्र (AWCC)?
आंगनवाड़ी-सह-क्रेच ऐसे केंद्र हैं जहां 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों के लिए:
- सुरक्षित माहौल,
- पोषण,
- स्वास्थ्य जांच,
- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा,
- और अब क्रेच सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।
इनका उद्देश्य विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं को सहारा देना है ताकि वे निश्चिंत होकर कार्य कर सकें और उनके बच्चों को संरक्षित वातावरण में देखभाल मिल सके।
राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना (RGNCS) से शुरुआत
भारत सरकार ने 1 जनवरी 2006 से राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना की शुरुआत की थी। यह योजना:
- केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में चलाई गई,
- जिसमें क्रेच सुविधा हेतु स्वैच्छिक संगठनों को अनुदान दिया जाता था,
- और इसे 90:10 के अनुपात में केंद्र और कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच वित्तपोषित किया गया।
हालांकि, राज्यों की प्रत्यक्ष भागीदारी न होने के कारण निगरानी में समस्याएं थीं और योजना को 31 दिसंबर 2016 को बंद कर दिया गया।
क्रेच सेवाओं का अगला चरण: NCS (2017–2022)
1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2022 तक मंत्रालय ने "कामकाजी माताओं के बच्चों के लिए राष्ट्रीय क्रेच योजना" (NCS) चलाई। इसमें:
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी जोड़ी गई।
- स्टैंड-अलोन क्रेच सेवाएं गैर सरकारी संगठनों (NGO) के माध्यम से संचालित की गईं।
- स्थानीय निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए।
पालना योजना: समग्र मिशन शक्ति के अंतर्गत नई शुरुआत
1 अप्रैल 2022 से केंद्र ने मिशन शक्ति के तहत ‘पालना योजना’ शुरू की। इसका उद्देश्य:
“6 महीने से 6 साल तक की आयु के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण, सुरक्षित और संरक्षित देखभाल प्रदान करना है।”
पालना योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- आंगनवाड़ी-सह-क्रेच मॉडल के माध्यम से कार्यान्वयन
- केंद्र प्रायोजित योजना
- वित्तपोषण अनुपात:
- सामान्य राज्यों के लिए 60:40 (केंद्र:राज्य)
- पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी राज्यों के लिए 90:10
- विधानमंडल रहित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% केंद्र वित्तपोषण
क्यों जरूरी हैं आंगनवाड़ी-सह-क्रेच केंद्र?
🔹 महिलाओं के लिए सहारा:
कामकाजी महिलाएं बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती हैं। क्रेच सुविधा उन्हें मानसिक राहत और आर्थिक आत्मनिर्भरता देती है।
🔹 बच्चों के लिए पोषण और देखभाल:
6 साल से कम उम्र के बच्चों की शारीरिक और मानसिक वृद्धि के लिए संतुलित आहार, साफ-सुथरा वातावरण और सीखने की गतिविधियाँ बेहद आवश्यक होती हैं।
🔹 ग्रामीण और शहरी गरीब वर्गों को लाभ:
जहां निजी क्रेच महंगे होते हैं, वहीं AWCC जैसे सरकारी केंद्रों से गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों को सुलभ सेवाएं मिलती हैं।
देश में आंगनवाड़ी प्रणाली: दुनिया की सबसे बड़ी बाल देखभाल सेवा
भारत में 14 लाख से अधिक आंगनवाड़ी केंद्र कार्यरत हैं, जो बच्चों को:
- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा
- पोषण आहार
- स्वास्थ्य जांच
- टीकाकरण
- देखभाल और परामर्श
जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। AWCC मॉडल इन सुविधाओं का विस्तारित और उन्नत संस्करण है।
सरकार की प्राथमिकता में बाल कल्याण
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा:
- निरंतर निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली लागू की जा रही है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपस्थिति और गतिविधियों का ट्रैक रखा जा रहा है।
- स्थानीय निकायों और पंचायती संस्थाओं को भी निगरानी में शामिल किया गया है।
इससे बाल देखभाल सेवाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि हो रही है।
पालना योजना और AWCC भारत के भविष्य को संवार रहे हैं
आंगनवाड़ी सह क्रेच योजना और पालना योजना भारत सरकार की बाल अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। ये योजनाएं न केवल बच्चों को पोषण और शिक्षा देती हैं, बल्कि महिलाओं को कार्यक्षेत्र में योगदान देने का अवसर भी प्रदान करती हैं। जहां एक ओर सरकार की नीतियों का उद्देश्य अंतिम लाभार्थी तक सेवा पहुंचाना है, वहीं दूसरी ओर ऐसे नवाचार से भारत की सामाजिक संरचना अधिक सशक्त और समावेशी बनती जा रही है।
