जुलाई में जीएसटी संग्रह 7.5% बढ़कर ₹1.96 लाख करोड़, अप्रैल-जुलाई में 8.18 लाख करोड़ तक पहुंचा राजस्व
जुलाई में जीएसटी संग्रह 7.5% बढ़कर ₹1.96 लाख करोड़, अप्रैल-जुलाई में 8.18 लाख करोड़ तक पहुंचा राजस्व
"भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) के अंतर्गत जुलाई 2025 में कुल संग्रहण ₹1.96 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.5% अधिक है। सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि यह वृद्धि घरेलू लेन-देन और आयात दोनों से आई है। हालांकि, यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के औसत संग्रह से कम है, फिर भी यह लगातार सातवां महीना रहा जब GST राजस्व ₹1.8 लाख करोड़ से ऊपर बना रहा।"
अप्रैल-जुलाई 2025: कुल संग्रह 8.18 लाख करोड़
वित्त वर्ष 2026 के पहले चार महीनों यानी अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत सरकार का ग्रॉस GST संग्रह ₹8.18 लाख करोड़ रहा। यह पिछले वर्ष की समान अवधि में हुए ₹7.39 लाख करोड़ से 10.7% अधिक है।
जुलाई 2025 में संग्रह का ब्रेकडाउन:
- CGST (केंद्रीय GST): ₹35,470 करोड़
- SGST (राज्य GST): ₹44,059 करोड़
- IGST (एकीकृत GST): ₹1,03,536 करोड़
- इसमें से ₹51,626 करोड़ आयात से प्राप्त हुआ
- सेस (उपकर): ₹12,670 करोड़
- इसमें से ₹1,086 करोड़ आयात से
रिफंड के बाद नेट संग्रह में मामूली वृद्धि
रिफंड समायोजन के बाद नेट GST राजस्व जुलाई 2025 में ₹1,68,588 करोड़ रहा, जो पिछले साल जुलाई के ₹1,65,800 करोड़ की तुलना में सिर्फ 1.7% अधिक है। इस मामूली वृद्धि का मुख्य कारण रिफंड राशि में भारी बढ़ोतरी रही, जो जुलाई 2024 के ₹16,275 करोड़ से बढ़कर इस साल ₹27,147 करोड़ हो गई – यानी 66.8% की वृद्धि।
राज्यवार GST प्रदर्शन: किसने सबसे अच्छा किया?
🔹 उत्तर-पूर्वी राज्यों का प्रदर्शन प्रभावशाली
- त्रिपुरा: 41% वृद्धि
- मेघालय: 26%
- सिक्किम: 23%
- नागालैंड: 22%
इन राज्यों ने जीएसटी संग्रह में जबरदस्त सुधार दिखाया है। यह स्थानीय व्यावसायिक गतिविधियों और कर अनुपालन में सुधार का संकेत है।
🔹 बड़े राज्यों में मिला-जुला प्रदर्शन
- मध्य प्रदेश: 18% वृद्धि
- बिहार: 16%
- आंध्र प्रदेश: 14%
- पंजाब और हरियाणा: 12%
- कर्नाटक: 7%
- तमिलनाडु: 8%
- गुजरात: सिर्फ 3% वृद्धि
- दिल्ली: 2%
- उत्तर प्रदेश: 7%
🔹 GST में सबसे बड़ा योगदानकर्ता राज्य: महाराष्ट्र
महाराष्ट्र ने ₹30,590 करोड़ का संग्रह किया, जो कि भारत में सबसे अधिक है। हालांकि, इस राज्य की वृद्धि दर केवल 6% रही – जो उसके आकार और आर्थिक स्थिति को देखते हुए औसत मानी जा सकती है।
🔻 राज्यों में गिरावट भी दर्ज
कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गिरावट भी देखने को मिली:
- मणिपुर: 36% की भारी गिरावट
- मिजोरम: 21%
- जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़: 5% की कमी
यह संकेत देता है कि वहां की स्थानीय आर्थिक गतिविधियां, कर संग्रह व्यवस्था या राजनीतिक स्थितियां अभी भी अस्थिर हो सकती हैं।
मैन्युफैक्चरिंग और आर्थिक गतिविधियाँ बनीं मजबूत
रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स 59.1 पर रहा, जो कि 16 महीनों का उच्चतम स्तर है। इसका मतलब है कि औद्योगिक उत्पादन और घरेलू मांग में मजबूती बनी हुई है, जो GST संग्रह को समर्थन दे रही है।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार:
- जुलाई 2025 का GST प्रदर्शन संतोषजनक है, लेकिन पिछली तिमाही की तुलना में धीमी गति से बढ़ा है।
- रिफंड में वृद्धि एक कारण है, लेकिन यह ईमानदार अनुपालन और सिस्टम के पारदर्शी होने का भी संकेत है।
- सरकार को ध्यान देना होगा कि बाजार में तरलता बनी रहे ताकि मांग और संग्रह दोनों में निरंतरता आए।
वित्त मंत्रालय की प्राथमिकताएँ
सरकार अब:
- कर अनुपालन को और बेहतर करने,
- छोटे व्यापारियों को तकनीकी सहयोग देने,
- और डिजिटल फाइलिंग को प्रोत्साहित करने पर जोर दे रही है।
इन सुधारों से आने वाले महीनों में जीएसटी संग्रह में स्थिर और सतत वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
जुलाई 2025 जीएसटी संग्रह एक स्थिर लेकिन सतर्क संकेत
जुलाई 2025 जीएसटी संग्रह ने भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता और सतत पुनरुद्धार का संकेत दिया है। जबकि कुछ राज्यों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई, वहीं कुछ राज्यों की गिरावट चिंता का विषय भी बन सकती है।
"अप्रैल-जुलाई में ₹8.18 लाख करोड़ का संग्रह भारत के वित्तीय बुनियाद की मजबूती को दिखाता है। अब चुनौती यह है कि रिफंड नीतियों, व्यापार में निरंतरता और वैश्विक आर्थिक दबावों के बीच कैसे स्थिर विकास बनाए रखा जाए।"
