एलपीजी सब्सिडी में पारदर्शिता और सुधार: आधार प्रमाणीकरण से मजबूत हुआ डीबीटी सिस्टम
एलपीजी सब्सिडी में पारदर्शिता और सुधार: आधार प्रमाणीकरण से मजबूत हुआ डीबीटी सिस्टम
“भारत सरकार ने एलपीजी सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता और कुशलता लाने के लिए अनेक तकनीकी और नीतिगत सुधार किए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से इस दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी।”
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBTL) और पहल स्कीम का योगदान
सरकार द्वारा शुरू की गई पहल योजना (DBTL), घरेलू गैस उपभोक्ताओं को सब्सिडी सीधे उनके बैंक खातों में भेजने की व्यवस्था है। यह प्रक्रिया आधार नंबर से लिंक होने के कारण लाभार्थियों की सटीक पहचान सुनिश्चित करती है और नकली या डुप्लिकेट कनेक्शनों को हटाने में सहायक है।
- आधार आधारित सत्यापन ने सब्सिडी के वितरण में पारदर्शिता लाई है।
- बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण से उपभोक्ताओं की असली पहचान सुनिश्चित होती है।
- नकली और अयोग्य कनेक्शनों को हटाकर व्यवस्था को अधिक लक्षित और प्रभावी बनाया गया है।
डिजिटल बुकिंग और निगरानी प्रणाली से जुड़ा हर उपभोक्ता
देश भर में सभी एलपीजी वितरकों के लिए आईवीआरएस/एसएमएस बुकिंग सिस्टम लागू किया गया है। इसके माध्यम से उपभोक्ताओं को:
- रिफिल बुकिंग की पुष्टि,
- कैश मेमो की जानकारी,
- और सिलेंडर की डिलीवरी की स्थिति के बारे में SMS अलर्ट मिलते हैं।
इससे ग्राहक अपने लेन-देन को ट्रैक कर सकते हैं और किसी गड़बड़ी की स्थिति में समय पर रिपोर्ट कर सकते हैं।
डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (DAC) से बढ़ा प्रमाणीकरण
एलपीजी सिलेंडर की डिलीवरी के समय प्रमाणीकरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (DAC) की शुरुआत की है। यह कोड:
- कैश मेमो बनने पर उपभोक्ता को SMS के माध्यम से भेजा जाता है।
- उपभोक्ता को यह कोड डिलीवरी करने वाले कर्मी के साथ साझा करना होता है।
- इससे गलत डिलीवरी या फ्रॉड की संभावना कम होती है।
सतत निगरानी और गुणवत्ता जांच
तेल विपणन कंपनियों के अधिकारी नियमित रूप से:
- वितरकों के गोदामों और शोरूम की जाँच करते हैं।
- गुणवत्ता रिएश्योरेंस, एंटी-एडल्टरेशन सेल और विजिलेंस डिपार्टमेंट के साथ मिलकर कार्य करते हैं।
- एलपीजी का दुरुपयोग रोकने के लिए वितरण स्थलों की निगरानी करते हैं।
आधार प्रमाणीकरण से दोहराव और फ्रॉड पर नियंत्रण
सरकार ने एलपीजी वितरण में बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण को लागू कर दिया है:
- जुलाई 2025 तक 67% पीएमयूवाई उपभोक्ताओं का आधार प्रमाणीकरण पूरा हो चुका है।
- नए लाभार्थियों को कनेक्शन से पहले बायोमेट्रिक सत्यापन करना अनिवार्य है।
- यह व्यवस्था उपभोक्ताओं की सही, वास्तविक समय में पहचान सुनिश्चित करती है और धोखाधड़ी से बचाती है।
डुप्लिकेट और निष्क्रिय कनेक्शन हटाए गए
- सरकार ने 8.49 लाख पीएमयूवाई कनेक्शन समाप्त किए, जो कि या तो नकली थे या दोहराव वाले।
- इसके अलावा, जनवरी 2025 में जारी SOP के अनुसार, जो उपभोक्ता रिफिल नहीं ले रहे थे, उनके कनेक्शन भी समाप्त किए गए।
- इस प्रक्रिया में लगभग 12,000 निष्क्रिय उपभोक्ताओं को हटाया गया।
शिकायतों का प्रतिशत बेहद कम
वर्ष 2024-25 में कुल 194 करोड़ एलपीजी रिफिल वितरित किए गए, जिनमें से केवल 0.08% मामलों में शिकायतें मिलीं।
इनमें से अधिकतर शिकायतें:
- सब्सिडी ट्रांसफर में देरी
- या डिलीवरी संबंधित समस्याओं से जुड़ी थीं।
इससे पता चलता है कि पूरी प्रणाली किस हद तक प्रभावी और उपभोक्ता-केंद्रित हो चुकी है।
“एलपीजी सब्सिडी वितरण प्रणाली में आधार प्रमाणीकरण और डिजिटल उपायों की मदद से न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा, सटीकता और संतुष्टि भी सुनिश्चित हुई है। हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, ये सभी प्रयास प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBTL) के उद्देश्यों को मजबूती प्रदान करते हैं। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर पात्र नागरिक तक उसका लाभ पहुंचे — सही समय पर, सही तरीके से और बिना किसी बाधा के।”
