पारसी नववर्ष नवरोज 2025: पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मु ने दी शुभकामनाएं, समुदाय के योगदान को सराहा
नवरोज 2025: नया साल, नई उम्मीदें
“पारसी नववर्ष जिसे नवरोज या नौरोज भी कहा जाता है, भारत सहित दुनिया भर के पारसी समुदाय द्वारा बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व नयेपन, पुनर्जीवन और आशा का प्रतीक है। फारसी भाषा में ‘नव’ का अर्थ है नया और ‘रोज’ का अर्थ है दिन, यानी “नया दिन”।“
प्रधानमंत्री मोदी की नवरोज 2025 शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देशवासियों और विशेष रूप से पारसी समुदाय को नवरोज 2025 शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा:
“पारसी नववर्ष के शुभारंभ पर हार्दिक शुभकामनाएं! हमें पारसी समाज का भारत की प्रगति में किए गए स्थायी योगदान पर गर्व है। यह वर्ष सभी के लिए सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लेकर आए। नवरोज मुबारक!”
मोदी ने अपने संदेश में यह भी कहा कि पारसी समुदाय हमेशा से भारत की संस्कृति, व्यापार और सामाजिक उत्थान में अग्रणी रहा है।
राष्ट्रपति मुर्मु का संदेश
15 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी नवरोज 2025 पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा:
“नवरोज नवीनीकरण, आशा और समृद्धि का प्रतीक है। पारसी समुदाय की उद्यमशीलता और लोककल्याण के प्रति समर्पण ने राष्ट्र की प्रगति में अनमोल योगदान दिया है। यह पर्व सभी में शांति और समृद्धि लाए और हमें एक समावेशी राष्ट्र बनाने के लिए प्रेरित करे।”
नवरोज का इतिहास और महत्व
- प्रकृति से जुड़ाव: नवरोज परंपरागत रूप से मार्च इक्विनॉक्स (वसंत ऋतु का आगमन) से जुड़ा है।
- भारत में विशेषता: भारत में पारसी समुदाय शहंशाही कैलेंडर का पालन करता है, जिसके कारण यह त्योहार जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है।
- सांस्कृतिक धरोहर: नवरोज भारतीय समाज में विविधता और सामूहिकता की मिसाल पेश करता है।
नवरोज कैसे मनाया जाता है?
- घरों की सफाई और सजावट की जाती है।
- विशेष व्यंजन और मिठाइयां बनाई जाती हैं।
- अग्नि मंदिरों में प्रार्थना और अनुष्ठान होते हैं।
- परिवार और मित्रों को नवरोज 2025 शुभकामनाएं दी जाती हैं।
पारसी समुदाय का भारत में योगदान
- व्यापार और उद्योग: पारसी उद्यमियों ने भारत में उद्योगों को नई दिशा दी।
- समाजसेवा: शिक्षा, स्वास्थ्य और परोपकार में पारसी समाज अग्रणी रहा है।
- संस्कृति और कला: थिएटर, साहित्य और कला जगत में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है।
आधुनिक भारत में नवरोज की प्रासंगिकता
आज भी नवरोज केवल पारसी समुदाय का त्योहार नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता का प्रतीक है। यह त्योहार हमें यह संदेश देता है कि एकता, सामूहिकता और सामाजिक उत्थान ही प्रगति का मार्ग है।
नवरोज और राष्ट्रीय एकता का संदेश
नवरोज 2025 शुभकामनाएं केवल एक औपचारिक संदेश नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की उस आत्मा को दर्शाता है जो हर समुदाय और हर धर्म को सम्मान देती है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुर्मु के संदेश ने इस तथ्य को और मजबूत किया कि पारसी समाज की भूमिका भारत की समृद्धि और विकास में हमेशा से अहम रही है।
