दिल्ली बार काउंसिल का सख्त कदम
दिल्ली बार काउंसिल “(BCD) ने बड़ा कदम उठाते हुए फर्जी डिग्री और जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर वकालत में दाखिला लेने वाले 100 से अधिक वकीलों के लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिए हैं। यह कार्रवाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के निर्देशों के तहत की गई है”।
कब हुई कार्रवाई :- जून 2023 से सितंबर 2025 के बीच लगातार जांच के बाद दिल्ली बार काउंसिल ने अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी कर इन फर्जीवाड़े का खुलासा किया। अधिवक्ताओं के नामांकन (Enrollment) को Advocates Act, 1961 की धारा 26(1) के प्रावधानों के तहत रद्द किया गया।
कैसे हुई फर्जी डिग्रियों की जांच :- जांच के दौरान विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट मंगाई गई। जिन दस्तावेज़ों की जांच हुई, उनमें –
- एलएलबी (LL.B) की डिग्रियां
- स्नातक (Graduation) की मार्कशीट
- अन्य शैक्षणिक प्रमाणपत्र
इनमें से कई को जाली या फर्जी पाया गया। विश्वविद्यालयों ने साफ कर दिया कि संबंधित उम्मीदवारों ने जो दस्तावेज़ दाखिल किए थे, वे मान्य नहीं हैं।
किन वकीलों पर हुई कार्रवाई दिल्ली बार काउंसिल ने उन सभी व्यक्तियों का नामांकन रद्द कर दिया है जिन्होंने फर्जी डिग्री या सर्टिफिकेट के आधार पर वकालत का लाइसेंस हासिल किया था।
- कुछ मामलों में, कार्यवाही इसलिए बंद की गई क्योंकि संबंधित व्यक्ति का निधन हो चुका था।
- वहीं, कुछ वकीलों ने खुद ही अपना नामांकन प्रमाणपत्र स्वेच्छा से वापस कर दिया।
वकीलों को क्या करना होगा अब :- जिन वकीलों के लाइसेंस रद्द हुए हैं, उन्हें तुरंत अपने नामांकन प्रमाणपत्र और पहचान पत्र (ID Card) बार काउंसिल में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।
नोटिफिकेशन कहाँ भेजे गए दिल्ली बार काउंसिल ने इस मामले से संबंधित सभी नोटिफिकेशन विभिन्न संस्थानों और विभागों को भेज दिए हैं। इनमें शामिल हैं:
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI)
- सभी राज्य बार काउंसिल्स
- सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार
- दिल्ली के जिला न्यायाधीश
- कानून एवं न्याय मंत्रालय
- दिल्ली पुलिस
साथ ही, बार एसोसिएशनों को भी निर्देश दिया गया है कि वे इन नोटिफिकेशनों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें।
क्यों ज़रूरी था यह कदम पिछले कुछ समय से यह शिकायतें आ रही थीं कि कई लोग फर्जी डिग्री और जाली दस्तावेज़ों के सहारे वकालत पेशे में शामिल हो रहे हैं। इससे न केवल न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगता है, बल्कि सच्चे और योग्य वकीलों के भविष्य पर भी असर पड़ता है। दिल्ली बार काउंसिल का यह कदम उन सभी के लिए संदेश है जो कानून की पढ़ाई किए बिना ही वकील बनने की कोशिश करते हैं।
अधिवक्ता अधिनियम, 1961 का संदर्भ Advocates Act, 1961 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति गलत या फर्जी दस्तावेज़ देकर वकील बनता है, तो उसका नामांकन रद्द किया जा सकता है। यही प्रावधान इस कार्रवाई में लागू किया गया है।
आगे क्या होगा फर्जी डिग्री वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। संबंधित विश्वविद्यालयों और दिल्ली पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया है। यह संभावना जताई जा रही है कि कुछ मामलों में आपराधिक मामले भी दर्ज किए जाएंगे।
युवाओं और वकीलों के लिए सबक यह मामला उन सभी युवाओं के लिए सबक है जो किसी भी क्षेत्र में फर्जी दस्तावेज़ के सहारे करियर बनाना चाहते हैं। न्यायपालिका और बार काउंसिल जैसे संस्थान अब इस तरह की धोखाधड़ी पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
दिल्ली बार काउंसिल द्वारा 100 से अधिक वकीलों के लाइसेंस रद्द करना भारतीय न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी की दिशा में बड़ा कदम है। यह फैसला साफ करता है कि वकालत जैसे सम्मानजनक पेशे में सिर्फ वही लोग शामिल होंगे जो योग्य और सत्यापन योग्य डिग्री लेकर आते हैं।
