“स्वदेशी उत्पाद” के साथ इस दीवाली का नया रंग
इस दीवाली, नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से एक विशेष अपील की है — त्योहारों को सिर्फ रौनक से नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की मेहनत, नवाचार और संस्कृति की गूंज के साथ मनाएँ। उन्होंने कहा है कि इस बार त्योहारों में स्वदेशी उत्पाद को अपनाना हम सभी की जिम्मेदारी है।
उन्होंने अपने सोशल-मीडिया पोस्ट में लिखा:
“Let’s mark this festive season by celebrating the hard-work, creativity and innovation of 140 crore Indians. Let’s buy Indian products and say- Garv Se Kaho Yeh Swadeshi Hai! Do also share what you bought on social media. This way you will inspire others to also do the same.”
- त्योहारों को एक सामाजिक-आर्थिक मंच बनाना, न कि सिर्फ व्यक्तिगत उत्सव।
- स्वदेशी उत्पादों को चुन कर “गो‐वोकल फॉर लोकल” की दिशा में एक कदम उठाना।
- सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेरणा फैलाना — यह नहीं कि सिर्फ हम खरीदें, बल्कि यह दिखाएँ कि हमने स्वदेशी उत्पाद क्यों खरीदा।
क्यों है “स्वदेशी उत्पाद” को चुनना महत्वपूर्ण?
स्वदेशी उत्पाद चुनने से सिर्फ एक खरीददारी नहीं होती, बल्कि इसके कई सकारात्मक पहलू जुड़े हैं:
- स्थानीय कारीगरों, उत्पादकों और छोटे-मध्यम उद्यमों का समर्थन होता है।
- आयात-निर्भरता कम होती है, और देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है।
- उपभोक्ता के रूप में हमें एक सक्रिय भूमिका मिलती है — सिर्फ उपभोक्ता नहीं, सहभागी बनते हैं।
- त्योहारों में एक नया अर्थ जुड़ता है — सिर्फ “खरीदारी” नहीं बल्कि “कमाई”, “उत्पादन” और “गर्व” का भाव।
इस दिशा में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि यह सिर्फ व्यक्तिगत उपभोग नहीं बल्कि सामाजिक अभियान है।
कैसे मनाएँ “स्वदेशी उत्पाद” के साथ स्मार्ट-त्योहार?
- 1. खरीद-पहचान रखें : त्योहारों के लिए सामान चुनते समय देखें कि वह वास्तव में “Made in India” हो या नहीं। उत्पाद की लेबलिंग, ब्रांड-मूल और स्रोत की जानकारी देखें।
- 2. सोशल मीडिया पोस्ट करें : PM की अपील के अनुरूप: आपने जो स्वदेशी उत्पाद खरीदा है, उसकी तस्वीर/वीडियो सोशल-मीडिया पर साझा करें। इससे दूसरों को प्रेरणा मिलेगी।
- 3. स्थानीय बाजारों को समर्थन दें : बड़े ब्रांड के बजाय स्थानीय कारीगरों, हैंडमेड वस्तुओं, छोटे व्यवसायों से सामान लेना एक असरदार कदम है।
- 4. त्योहार का स्वरूप बदलें : रोजमर्रा की खरीददारी के बजाए देखें- क्या यह खरीद स्थानीय रोजगार बढ़ा सकती है? क्या यह नवीनता, उत्पादन की कहानी प्रस्तुत करती है?
- 5. मित्र-परिवार को प्रेरित करें : अपने सोशल-नेटवर्क में यह बात फैलाएँ कि “गर्व से कहो यह स्वदेशी है” — इस स्लोगन को साझा करें, उसका अर्थ समझाएँ।
इस अपील का सामाजिक-आर्थिक अर्थ
जब 140 करोड़ भारतवासी एक साथ यह सोचें कि उनकी खरीद-चुनाव का निर्णय देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार तथा नवाचार से जुड़ा है, तब त्योहार एक नया वर्ण ले लेता है।
- ऐसा दृश्य बनता है जहाँ उपभोक्ता सिर्फ सामान नहीं ले रहा, बल्कि देश-निर्माण का हिस्सा बन रहा है।
- यह संदेश है कि उत्पादन-शक्ति सिर्फ उद्योगों में नहीं, बल्कि हर घर-दुकान-बाजार में निहित है।
- सोशल-मीडिया के ज़रिए यह अभियान व्यापक रूप लेता है — एक-एक पोस्ट, एक-एक तस्वीर प्रेरणा स्रोत बन सकती है।
- त्योहार की खरीद-फरोख्त सिर्फ उपभोग नहीं बल्कि प्रतिफल और साझेदारी बन जाती है।
उपसंहार नहीं, बल्कि आगे का कदम
इस तरह, इस वर्ष के त्यौहारों में “स्वदेशी उत्पाद” चुनना सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि एक प्रवृत्ति है। जब हम इस दिशा में छोटी-छोटी चुनौतियों के साथ आगे बढ़ते हैं—चाहे वो खरीददारी हो, सोशल-मीडिया पोस्ट हो या स्थानीय बाजार को समर्थन देना हो—तो इसका असर परिणाम के रूप में सामने आता है।
यदि आप चाहें, तो मैं यह भी बता सकता हूँ कि किन प्रमुख स्वदेशी उत्पादों को इस दीवाली खास तौर पर चुन सकते हैं, या किन मार्केट्स में अच्छे विकल्प मिल सकते हैं।
