अंतरराष्ट्रीय

क्या अमेरिका वाले G7 को टक्कर दे पाएगा BRICS? जानें मोदी-पुतिन-जिनपिंग की तिकड़ी में कितना दम

BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) देशों का समूह विश्व मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है, खासकर जब बात G7 (जर्मनी, फ्रांस, इटली, कनाडा, जापान, ब्रिटेन, और अमेरिका) के प्रभाव को चुनौती देने की आती है। पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति जिनपिंग की तिकड़ी के बीच समन्वय और सहयोग के क्या संकेत हैं, आइए जानते हैं।

BRICS का बढ़ता प्रभाव

BRICS का गठन आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता के लिए किया गया था, और यह समूह अब वैश्विक स्तर पर अपनी आवाज उठाने के लिए तत्पर है। हाल के वर्षों में, BRICS देशों ने अपनी सदस्यता में विस्तार करने की योजना बनाई है, जिसमें अन्य विकासशील देशों को भी शामिल करने की कोशिश की जा रही है। इस विस्तार का उद्देश्य आर्थिक और राजनीतिक रूप से G7 के प्रभाव को चुनौती देना है।

मोदी-पुतिन-जिनपिंग की तिकड़ी का सामर्थ्य

  1. आर्थिक ताकत: BRICS देशों की कुल जनसंख्या विश्व की लगभग 40% है, और ये देश वैश्विक GDP का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी योगदान देते हैं। यदि ये देश एकजुट होते हैं, तो उनकी आर्थिक ताकत G7 के समकक्ष खड़ी हो सकती है।
  2. विपणन अवसर: BRICS देशों के पास विभिन्न क्षेत्रों में विशेषकर कृषि, ऊर्जा, और तकनीक में मजबूत मार्केट अवसर हैं। पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन, और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच सहयोग इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दे सकता है।
  3. भविष्य की योजनाएँ: BRICS देशों ने साझा निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और सांस्कृतिक विनिमय में सहयोग बढ़ाने की योजना बनाई है। इससे इन देशों के बीच एकजुटता और समर्पण का प्रदर्शन होता है।

G7 का दृष्टिकोण

G7 देशों का मुख्य उद्देश्य लोकतंत्र, मानवाधिकार, और वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देना है। हालांकि, G7 पर आरोप है कि यह विकासशील देशों की चिंताओं को नजरअंदाज करता है। इसके विपरीत, BRICS देशों का दृष्टिकोण विकासशील देशों के अधिकारों और प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देने का है, जिससे G7 की स्थिति को चुनौती मिलती है।

संभावित चुनौतियाँ

हालांकि BRICS को G7 को चुनौती देने की क्षमता है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं:

  1. आंतरिक मतभेद: BRICS देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक नीतियों में मतभेद हो सकते हैं, जो उनके एकजुट प्रयासों को बाधित कर सकते हैं।
  2. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: G7 की तुलना में BRICS को वैश्विक स्तर पर समर्थन जुटाने में कठिनाई हो सकती है, खासकर पश्चिमी देशों से।
  3. सुरक्षा चिंताएँ: रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे मुद्दों के चलते, कुछ BRICS देशों के बीच सुरक्षा संबंधों में तनाव हो सकता है।

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