वायु प्रदूषण से बढ़ रहा फेफड़े का कैंसर, नॉन-स्मोकर्स पर भी खतरा: रिसर्च का दावा
“भारत में वायु प्रदूषण तेजी से फेफड़ों के कैंसर का कारण बन रहा है, और हैरान करने वाली बात यह है कि इसका असर नॉन-स्मोकर्स पर भी पड़ रहा है। हाल ही में किए गए एक शोध में यह दावा किया गया है कि जो लोग कभी धूम्रपान नहीं करते, वे भी वायु प्रदूषण के कारण इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।”
प्रमुख कारण
- पार्टिकुलेट मैटर (PM 2.5 और PM 10): वायु में मौजूद महीन कण सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
- टॉक्सिक गैसें: फैक्ट्रियों, वाहनों और अन्य स्रोतों से निकलने वाली जहरीली गैसें कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ा रही हैं।
रिसर्च के महत्वपूर्ण निष्कर्ष
- नॉन-स्मोकर्स पर असर: भारत में फेफड़े के कैंसर के मामलों में से लगभग 30-40% नॉन-स्मोकर्स में देखे जा रहे हैं।
- महिलाओं और बच्चों पर असर: वायु प्रदूषण का असर खासतौर पर महिलाओं और बच्चों पर ज्यादा देखा गया है।
- शहरी इलाकों में खतरा अधिक: महानगरों और औद्योगिक क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर है।
लक्षण जिन्हें नज़रअंदाज न करें
- लगातार खांसी आना
- सांस लेने में दिक्कत
- थकान और वजन कम होना
- छाती में दर्द
यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सरकार और नागरिकों के लिए सुझाव
- वाहनों के उत्सर्जन को कम करना: पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करें।
- प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों पर नियंत्रण: सख्त नियम लागू किए जाएं।
- घर के अंदर की हवा को साफ रखें: एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
- पौधे लगाएं: ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने से वायु प्रदूषण कम किया जा सकता है।
नागरिकों को क्या करना चाहिए?
- मास्क पहनकर बाहर निकलें, खासकर प्रदूषण के दिनों में।
- अपने आहार में एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर चीज़ें शामिल करें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
निष्कर्ष
वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बड़ा खतरा बनता जा रहा है। फेफड़े का कैंसर अब सिर्फ धूम्रपान करने वालों की समस्या नहीं रह गई है। इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण मिल सके।