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युवाओं की पहल: बुजुर्गों को डिजिटल खतरों से बचाने की मुहिम

डिजिटल युग में जहां तकनीक ने हमारे जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाया है, वहीं इसके साथ कई नई चुनौतियां भी आई हैं। खासकर बुजुर्ग वर्ग, जो तकनीकी ज्ञान में अपेक्षाकृत पीछे रह सकता है, डिजिटल खतरों का सामना करने में अधिक संवेदनशील होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए युवाओं द्वारा बुजुर्गों को इन खतरों से बचाने के प्रयासों की सराहना की है।

आज के समय में साइबर अपराध, धोखाधड़ी, और डिजिटल प्लेटफॉर्म के गलत इस्तेमाल की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में बुजुर्ग, जो डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना सीख रहे हैं, कई बार इन खतरों के शिकार हो जाते हैं। यह जरूरी है कि उन्हें जागरूक किया जाए और तकनीक का सुरक्षित उपयोग सिखाया जाए।

युवाओं ने इस दिशा में एक मिसाल कायम की है। वे न केवल अपने परिवार के बुजुर्गों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सुरक्षित उपयोग सिखा रहे हैं, बल्कि समाज के अन्य बुजुर्गों की भी मदद कर रहे हैं। कुछ युवा सामुदायिक केंद्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहे हैं, जहां वे बुजुर्गों को डिजिटल दुनिया की बुनियादी बातें, जैसे पासवर्ड सुरक्षा, साइबर अपराध से बचाव और सुरक्षित लेनदेन की जानकारी देते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि डिजिटल तकनीक का लाभ सभी तक पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि समाज के हर वर्ग को इसके खतरों और बचाव के तरीकों से परिचित कराया जाए। उन्होंने युवाओं के इस प्रयास को “डिजिटल सुरक्षा की नई क्रांति” के रूप में देखा।

यह पहल न केवल बुजुर्गों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है, बल्कि पीढ़ियों के बीच बेहतर संवाद और समझ को भी बढ़ावा देती है। यह दिखाता है कि युवा पीढ़ी न केवल तकनीकी रूप से सशक्त है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझती है।

डिजिटल खतरों से बचने के लिए यह आवश्यक है कि तकनीकी ज्ञान को सभी के बीच समान रूप से बांटा जाए। इस दिशा में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके प्रयास बुजुर्गों को न केवल सुरक्षित डिजिटल जीवन जीने में मदद करेंगे, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास भी देंगे कि वे भी तकनीक का उपयोग करके दुनिया के साथ कदम से कदम मिला सकते हैं।

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