बीपीएससी 70वीं परीक्षा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज की, पटना हाई कोर्ट जाने का दिया निर्देश
“सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा के कथित पेपर लीक मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में पटना हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया है।”
📜 क्या है पूरा मामला?
बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा में पेपर लीक होने का आरोप लगाते हुए कुछ उम्मीदवारों ने परीक्षा को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पेपर लीक से परीक्षा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले में पहले पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है और फैसला ले सकता है।
🧑💼 याचिकाकर्ता की मांग
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि:
- बीपीएससी 70वीं परीक्षा रद्द की जाए।
- परीक्षा में शामिल उम्मीदवारों के हितों की रक्षा की जाए।
- आयोग पर कार्रवाई की जाए और परीक्षा को दुबारा आयोजित किया जाए।
📚 बीपीएससी का पक्ष
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि परीक्षा पारदर्शी तरीके से आयोजित की गई थी और पेपर लीक की खबरें निराधार हैं।
📢 अगला कदम क्या होगा?
अब याचिकाकर्ताओं को पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी। वहां से फैसले के बाद ही इस मामले में कोई आगे की कार्रवाई की जाएगी।
🧐 परीक्षा रद्द होने की संभावना पर क्या बोले विशेषज्ञ?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि पेपर लीक के ठोस सबूत मिलने पर ही परीक्षा रद्द हो सकती है। कोर्ट इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई निर्णय लेगा।
🔎 महत्वपूर्ण तथ्य
- बीपीएससी की 70वीं संयुक्त परीक्षा में लाखों उम्मीदवार शामिल हुए थे।
- परीक्षा में पेपर लीक की खबरों ने उम्मीदवारों में नाराजगी बढ़ा दी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी है।
इस मामले में अब पूरा ध्यान पटना हाई कोर्ट पर होगा कि वह पेपर लीक मामले में क्या निर्णय लेता है। उम्मीदवारों को उम्मीद है कि पारदर्शी जांच और निष्पक्ष फैसला होगा ताकि उनकी मेहनत और भविष्य प्रभावित न हो।
