महाकुंभ 2025: श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ जल की सुविधा, वॉटर एटीएम से शुद्ध आरओ जल मुफ्त में उपलब्ध
“प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन द्वारा मुफ्त और स्वच्छ पेयजल की बेहतरीन सुविधा उपलब्ध कराई गई है। संगम क्षेत्र में 233 वॉटर एटीएम लगाए गए हैं, जहां से श्रद्धालु 24 घंटे बिना किसी बाधा के मुफ्त में शुद्ध आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) जल प्राप्त कर सकते हैं।“
प्रशासन के अनुसार, 21 जनवरी से 1 फरवरी तक 40.85 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इन वॉटर एटीएम का लाभ उठाया है।
1 रुपये की जगह अब मुफ्त में मिलेगा शुद्ध जल
शुरुआत में श्रद्धालुओं को 1 रुपये प्रति लीटर आरओ जल उपलब्ध कराया जा रहा था, जिसे वे सिक्का डालकर या यूपीआई के माध्यम से भुगतान कर प्राप्त कर सकते थे। लेकिन अब प्रशासन ने इसे पूरी तरह मुफ्त कर दिया है, जिससे श्रद्धालु बिना किसी शुल्क के शुद्ध जल का लाभ उठा सकते हैं।
अब कोई भी श्रद्धालु वॉटर एटीएम से बिल्कुल मुफ्त में स्वच्छ पेयजल प्राप्त कर सकता है।
आधुनिक तकनीक से लैस वॉटर एटीएम
महाकुंभ में लगाए गए वॉटर एटीएम अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं।
✔️ सेंसर-आधारित निगरानी प्रणाली: किसी भी तकनीकी समस्या को तुरंत ट्रैक कर ठीक किया जाता है।
✔️ सिम-आधारित तकनीक: जल की खपत, गुणवत्ता और वितरण की मात्रा पर प्रशासन द्वारा लगातार निगरानी रखी जाती है।
✔️ स्वचालित प्रणाली: श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के स्वच्छ जल प्राप्त कर सकते हैं।
✔️ हर वॉटर एटीएम से प्रतिदिन 12 से 15 हजार लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है।
प्लास्टिक कचरे की समस्या से छुटकारा
पिछले महाकुंभ आयोजनों में प्लास्टिक की बोतलों और अन्य कचरे की समस्या एक बड़ी चुनौती रही है। इस बार प्रशासन ने वॉटर एटीएम की मदद से प्लास्टिक कचरे को कम करने का प्रयास किया है।
✅ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने वॉटर एटीएम के माध्यम से बोतलबंद पानी की जगह मुफ्त आरओ जल की सुविधा दी है।
श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा कदम
✔️ शुद्ध पेयजल की उपलब्धता से किसी भी प्रकार के जलजनित रोगों का खतरा कम होगा।
✔️ श्रद्धालुओं को महाकुंभ में जल आपूर्ति के लिए लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा।
✔️ पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी, क्योंकि बोतलबंद पानी की खपत कम होगी।
✔️ किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या के समाधान के लिए विशेष तकनीकी टीमें तैनात की गई हैं।
महाकुंभ 2025 में प्रशासन की यह पहल न केवल श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित जल उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक कचरे को कम करने की दिशा में भी अनुकरणीय प्रयास है।
