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तुहिन कांत पांडेय: सेबी के नए चेयरमैन का विस्तृत परिचय

परिचय

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नए चेयरमैन के रूप में तुहिन कांत पांडेय की नियुक्ति भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटना है। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारतीय बाजार कई चुनौतियों और परिवर्तनों का सामना कर रहा है। इस लेख में, हम तुहिन कांत पांडेय के जीवन, करियर, और सेबी के चेयरमैन के रूप में उनकी आगामी चुनौतियों और अपेक्षाओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

तुहिन कांत पांडेय का जन्म और पालन-पोषण ओडिशा में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ओडिशा में प्राप्त की और आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ गए, जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की, जिससे उनकी प्रबंधन और वित्तीय क्षेत्र में समझ और गहरी हुई।

सिविल सेवा में प्रवेश

1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी के रूप में तुहिन कांत पांडेय ने सिविल सेवा में प्रवेश किया। अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने ओडिशा राज्य सरकार में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिसमें संबलपुर जिले के जिला कलेक्टर का पद भी शामिल है। राज्य स्तर पर उनके कार्यकाल ने उन्हें जमीनी स्तर की प्रशासनिक चुनौतियों और समाधानों की गहरी समझ प्रदान की।

केंद्रीय सरकार में योगदान

राज्य सरकार में सफल कार्यकाल के बाद, पांडेय ने केंद्रीय सरकार में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने व्यापार और वाणिज्य से संबंधित नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने स्वास्थ्य, परिवहन, और वाणिज्यिक कर जैसे विभागों में भी विभिन्न पदों पर कार्य किया, जिससे उनकी प्रशासनिक क्षमताओं में विविधता आई।

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) में भूमिका

तुहिन कांत पांडेय ने निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। इस भूमिका में, उन्होंने सरकारी उपक्रमों के विनिवेश और निजीकरण की प्रक्रियाओं का नेतृत्व किया। उनकी देखरेख में, एयर इंडिया और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड जैसे बड़े सरकारी उपक्रमों का सफल निजीकरण हुआ, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मील के पत्थर साबित हुए।

वित्त सचिव के रूप में कार्यकाल

वित्त सचिव के रूप में, पांडेय ने नीतिगत मामलों पर वित्त मंत्री को सलाह देने और मंत्रालय के संचालन के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष मंत्रालय का प्रतिनिधित्व किया और भारत की वित्तीय और आर्थिक रणनीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी नेतृत्व क्षमता और नीतिगत समझ ने उन्हें इस पद पर सफल बनाया।

सेबी के चेयरमैन के रूप में नियुक्ति

28 फरवरी 2025 को, मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने तुहिन कांत पांडेय को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का चेयरमैन नियुक्त किया। उनकी नियुक्ति पदभार संभालने की तारीख से तीन साल या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए की गई है। वह माधबी पुरी बुच का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा है। सेबी के चेयरमैन के रूप में, पांडेय का वेतन भारत सरकार के सचिव के बराबर होगा, जो मकान और कार के बिना 5,62,500 रुपये प्रति माह है।

माधबी पुरी बुच का कार्यकाल और योगदान

माधबी पुरी बुच ने 2 मार्च 2022 को सेबी के चेयरमैन का पदभार संभाला था, और वह इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला थीं। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने बाजार में पारदर्शिता बढ़ाने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके नेतृत्व में, सेबी ने 197 चर्चा पत्र जारी किए, जो उनके पूर्ववर्ती के पांच साल के कार्यकाल की तुलना में 73% अधिक है। हालांकि, उनके कार्यकाल में कुछ नीतियों को लेकर विवाद भी हुए, जिनमें अत्यधिक नियम लागू करने के आरोप शामिल हैं।

सेबी के चेयरमैन के रूप में चुनौतियाँ और अपेक्षाएँ

सेबी के नए चेयरमैन के रूप में, तुहिन कांत पांडेय के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ होंगी:

  1. नियमों का सरलीकरण: निवेशकों और बाजार सहभागियों की मांग है कि सेबी के नियम सरल और स्पष्ट हों, ताकि व्यापार करना आसान हो सके।
  2. बाजार की स्थिरता: विदेशी निवेशकों की बढ़ती निकासी के बीच, भारतीय बाजार की स्थिरता बनाए रखना एक प्रमुख चुनौती होगी।
  3. निवेशकों का विश्वास बढ़ाना: निवेशकों के हितों की रक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना, जिससे उनका विश्वास बाजार में बना रहे।
  4. नवाचार और स्थिरता के बीच संतुलन: नए वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को प्रोत्साहित करते हुए, बाजार की स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखना।

निष्कर्ष

तुहिन कांत पांडेय की सेबी के चेयरमैन के रूप में नियुक्ति भारतीय वित्तीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। उनका व्यापक प्रशासनिक अनुभव, नीतिगत समझ, और वित्तीय क्षेत्र में गहन

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