पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन: एक युग का अंत
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारतीय राजनीति में एक सशक्त और विद्वान नेता के रूप में उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनकी अर्थनीति, दूरदर्शिता और शांत स्वभाव ने देश को आर्थिक सुधारों की दिशा में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) के गाह में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से प्राप्त की और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी विद्वता और ज्ञान ने उन्हें एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बना दिया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
डॉ. सिंह ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय प्रशासनिक सेवा में की थी, लेकिन बाद में वे अर्थशास्त्र के क्षेत्र में गहराई से जुड़े। 1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
2004 में, जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आम चुनावों में जीत हासिल की, तब सोनिया गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किया। उन्होंने 2004 से 2014 तक दो कार्यकालों तक प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास, विदेश नीति और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं।
आर्थिक सुधार और विकास
डॉ. सिंह के कार्यकाल में भारत ने उच्च आर्थिक विकास दर को प्राप्त किया। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा दिया, सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र में सुधार किए, और ग्रामीण विकास के लिए नीतियां बनाई। 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद, उनकी नीतियों ने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखा।
विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध
उनके कार्यकाल में भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ, जिसने भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नई संभावनाएं प्रदान कीं। इसके अलावा, उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की दिशा में भी कई प्रयास किए।
विवाद और आलोचना
हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान कई घोटाले भी सामने आए, जैसे 2G स्पेक्ट्रम घोटाला और कोयला घोटाला, जिनसे उनकी सरकार की साख को नुकसान पहुंचा। उनकी चुप्पी को लेकर भी आलोचना होती रही, लेकिन उनके समर्थकों का मानना था कि वे एक विनम्र और ईमानदार नेता थे।
निधन और शोक
2 मार्च 2025 को, 92 वर्ष की आयु में, डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और वैश्विक नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक अनमोल रत्न थे। उनकी विद्वता, सरलता और देश के प्रति उनकी निष्ठा हमेशा याद रखी जाएगी। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी बल्कि अपने सरल और ईमानदार व्यक्तित्व से राजनीति में एक मिसाल कायम की। उनका योगदान भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।