भारत में ईवी और मोबाइल निर्माण को बूस्ट: सरकार ने घटाया आयात शुल्क
“भारत सरकार ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों और मोबाइल फोन निर्माण से जुड़े प्रमुख उपकरणों और कंपोनेंट्स पर आयात शुल्क समाप्त कर दिया गया है।यह निर्णय देश की “मेक इन इंडिया” नीति के अंतर्गत लिया गया है, ताकि भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रीन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक हब बनाया जा सके।“
🔹 कौन-कौन से उत्पादों पर मिली छूट?
भारत सरकार द्वारा जिन वस्तुओं पर आयात शुल्क समाप्त किया गया है, उनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- लिथियम-आयन बैटरी सेल्स (EV बैटरियों के लिए)
- कैथोड और एनोड मटेरियल
- बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS)
- मोबाइल फोन के लिए कैमरा मॉड्यूल, डिस्प्ले यूनिट्स, PCBs
- चार्जिंग पोर्ट और सर्किट बोर्ड्स
इन सभी पुर्जों पर पहले 5% से 15% तक का आयात शुल्क लगाया जाता था।
🔹 इस कदम के पीछे सरकार की मंशा क्या है?
- घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना:
सरकार चाहती है कि भारत में मोबाइल और EV कंपोनेंट्स का निर्माण तेज़ी से बढ़े। आयात शुल्क हटाने से निर्माण लागत कम होगी और कंपनियां भारत में निर्माण को प्राथमिकता देंगी। - विदेशी निवेश को आकर्षित करना:
भारत सरकार चाहती है कि एप्पल, सैमसंग, टेस्ला जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियां भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाएं। यह निर्णय उनके लिए फायदेमंद साबित होगा। - EV को जन-जन तक पहुंचाना:
EV बैटरियों की कीमत घटने से इलेक्ट्रिक वाहन अब और सस्ते होंगे। इससे भारत में ईवी अपनाने की दर बढ़ेगी और प्रदूषण में कमी आएगी।
🔹 मोबाइल इंडस्ट्री को कितना लाभ?
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उपयोगकर्ता देश है। लेकिन मोबाइल निर्माण के लिए कई महंगे पुर्जे अभी भी विदेशों से मंगाए जाते हैं। इन पर ड्यूटी लगने से मोबाइल की कीमत बढ़ जाती थी।
अब आयात शुल्क हटने के बाद:
- मोबाइल की निर्माण लागत में 5% से 10% तक की कमी आ सकती है
- भारतीय कंपनियां जैसे माइक्रोमैक्स, लावा दोबारा तेज़ी से उभर सकती हैं
- चीन और वियतनाम पर निर्भरता घटेगी
- उपभोक्ताओं को सस्ते स्मार्टफोन मिल सकते हैं
🔹 EV सेक्टर को क्या फायदा होगा?
इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे महंगी चीज होती है – बैटरी। बैटरी की लागत EV की कुल कीमत का 40% तक होती है। लिथियम-आयन बैटरियों के कंपोनेंट्स पर ड्यूटी हटने से:
- बैटरी सस्ती बनेगी
- EV की कीमत 10% तक कम हो सकती है
- EV स्टार्टअप्स को बड़ी राहत
- भारत में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स खुलने का रास्ता
🔹 भारत का वैश्विक लक्ष्य
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक:
- कुल वाहनों में से 30% इलेक्ट्रिक हों
- भारत में मोबाइल निर्माण का 70% हिस्सा निर्यात के लिए हो
- भारत दुनिया की टॉप 3 मैन्युफैक्चरिंग हब में आए
🔹 इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
- फॉक्सकॉन इंडिया के सीईओ ने कहा: “यह एक गेम-चेंजर निर्णय है। भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद मिलेगी।”
- ओला इलेक्ट्रिक के प्रवक्ता: “इस निर्णय से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और EV को आम आदमी तक पहुंचाया जा सकेगा।”
- ICEA (Indian Cellular Association): “मोबाइल निर्माण क्षेत्र में यह एक स्वागत योग्य निर्णय है।”
🔹 मेक इन इंडिया और PLI स्कीम को मिलेगा बल
भारत सरकार पहले से ही PLI (Production Linked Incentive) स्कीम चला रही है, जिससे कंपनियों को घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर इंसेंटिव मिलता है। अब आयात शुल्क में छूट मिलने से:
- कंपनियों को दोहरा लाभ मिलेगा
- स्थानीय इकाइयाँ तेज़ी से स्थापित होंगी
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
- भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी बढ़ेगा
🔹 पर्यावरणीय लाभ
EV को बढ़ावा देना केवल आर्थिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय निर्णय भी है। जैसे-जैसे EV बढ़ेंगे:
- पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी
- CO₂ उत्सर्जन घटेगा
- स्वच्छ ऊर्जा को बल मिलेगा
- जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ने में मदद मिलेगी
🔹 क्या चुनौतियां अब भी बाकी हैं?
- कच्चे माल की उपलब्धता
- टेक्निकल स्किल्ड वर्कफोर्स
- घरेलू सप्लाई चेन का विकास
- विदेशी कंपनियों के लिए आसान नीतियाँ
सरकार को इन क्षेत्रों पर भी ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
भारत सरकार का यह कदम एक दूरदर्शी नीति का हिस्सा है। इससे न सिर्फ मोबाइल और EV सेक्टर में क्रांति आ सकती है, बल्कि लाखों रोजगार, पर्यावरण सुरक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति और मज़बूत होगी।
भारत अब सिर्फ उपभोक्ता नहीं, निर्माता बनने की राह पर है।
