भारतीय दिव्यांग क्रिकेट परिषद को मिली पैरालंपिक समिति से मान्यता, दिव्यांग खिलाड़ियों को मिलेगा बड़ा मंच
“भारतीय दिव्यांग क्रिकेट परिषद (DCCI) को भारत की पैरालंपिक समिति (PCI) से आधिकारिक मान्यता मिल गई है। यह मान्यता दिव्यांग क्रिकेट की दुनिया में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है, जिससे इन खिलाड़ियों को अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनिश्चित पहचान और अधिकार मिलेंगे।”
🤝 मान्यता का महत्व
DCCI ने कहा:
“यह मान्यता हमारे मिशन को बल देती है — देशभर में दिव्यांग व्यक्तियों को क्रिकेट में भागीदारी और पहचान दिलाने का। PCI की मान्यता हमें एक वैधानिक दर्जा देती है और हम अब समावेशी खेल संस्कृति की ओर और मजबूत कदम बढ़ा सकते हैं।”
📌 DCCI की स्थापना क्यों हुई?
2021 में BCCI के तत्कालीन सचिव जय शाह के मार्गदर्शन में DCCI की स्थापना हुई थी। इसका उद्देश्य था:
- दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक एकीकृत और समर्पित मंच बनाना
- चार प्रमुख दिव्यांग क्रिकेट प्रारूपों को एक छत्र में लाना:
- नेत्रहीन (Blind) क्रिकेट
- बधिर (Deaf) क्रिकेट
- शारीरिक रूप से विकलांग (Physically Challenged) क्रिकेट
- व्हीलचेयर क्रिकेट
🏛️ DCCI के अधीन काम करने वाले चार बड़े संगठन:
| संगठन का नाम | क्रिकेट प्रारूप |
|---|---|
| CABI (क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया) | नेत्रहीन क्रिकेट |
| IDCA (इंडियन डेफ क्रिकेट एसोसिएशन) | बधिर क्रिकेट |
| PCCAI (फिजिकली चैलेंज्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया) | शारीरिक विकलांग क्रिकेट |
| WCIA (व्हीलचेयर क्रिकेट इंडिया एसोसिएशन) | व्हीलचेयर क्रिकेट |
🧗♂️ DCCI के मुख्य उद्देश्य:
- दिव्यांग खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना
- खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर
- खेलों में समावेश और समान अवसर की भावना को बढ़ावा देना
- खिलाड़ियों, कोचों और खेल प्रशासकों को प्रशिक्षण और समर्थन देना
🏟️ टूर्नामेंट और गतिविधियां
DCCI अब तक कई राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट्स आयोजित कर चुका है। PCI से मान्यता मिलने के बाद, अब:
- अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी आसान होगी
- क्रिकेट का विकलांग वर्ग भी पैरालंपिक जैसे आयोजनों में अपनी छाप छोड़ सकेगा
- खिलाड़ियों को बेहतर संसाधन, कोचिंग और मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी
🧑🏫 सलाहकार समिति का गठन
DCCI ने हाल ही में एक विशेष दिव्यांग क्रिकेट सलाहकार समिति भी बनाई है जिसमें शामिल हैं:
- डॉ. महंतेश जी.के. (नेत्रहीन क्रिकेट)
- सुमित जैन (बधिर क्रिकेट)
- रविकांत चौहान (शारीरिक रूप से विकलांग क्रिकेट)
यह समिति खिलाड़ियों की जरूरतों और खेल की रणनीतियों को लेकर सलाह और मार्गदर्शन देगी।
🎯 भविष्य की योजनाएं
- देशभर में राज्य और जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित करना
- स्कूलों और कॉलेजों में दिव्यांग क्रिकेट को बढ़ावा देना
- महिला दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए विशेष कार्यक्रम
- पैरालंपिक 2030 तक भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए टीम इंडिया तैयार करना
📢 DCCI का आह्वान
DCCI ने कहा:
“अब समय है कि हम एक साथ मिलकर दिव्यांग खिलाड़ियों को वह मंच और सम्मान दें जिसके वे हकदार हैं। हम सभी क्रिकेट प्रेमियों, समाजसेवियों और संगठनों से अपील करते हैं कि वे इस मुहिम का हिस्सा बनें।”
🧾 निष्कर्ष
DCCI को PCI से मिली यह मान्यता सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति का हिस्सा है। यह दिव्यांग खिलाड़ियों को आत्मविश्वास, पहचान और गर्व के साथ खेल की मुख्यधारा में लाने का प्रयास है।
यह कदम भविष्य में भारत को खेलों में और समावेशी और समर्थ राष्ट्र बनाने की दिशा में अहम साबित होगा।
