डोनाल्ड ट्रम्प की प्रतिदाय टैरिफ नीतियाँ और वैश्विक प्रभाव
प्रतिदाय टैरिफ क्या हैं और क्यों लागू किए गए ?
“अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिदाय टैरिफ (Reciprocal Tariffs) की घोषणा की। इस नीति के अनुसार:”
- सभी देशों पर कम से कम 10% टैरिफ लागू होगा
- जो देश अमेरिकी सामान पर उच्च टैरिफ लगाते हैं, उन पर अमेरिका भी समान प्रतिक्रिया देगा
- कनाडा और मैक्सिको जैसे कुछ देशों को छूट दी गई है
इस नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना और व्यापार संतुलन बनाए रखना है।
विभिन्न देशों पर लागू टैरिफ दरें
ट्रम्प प्रशासन ने कई देशों को उच्च टैरिफ दरों की सूची में रखा है। कुछ प्रमुख उदाहरण:
- लेसोथो और सेंट पियरे: 50% टैरिफ
- कंबोडिया: 49% टैरिफ
- भारत: 26% टैरिफ
- चीन: 34% टैरिफ
- यूरोपीय संघ: 20% टैरिफ
ये नई दरें पहले से लागू टैरिफ के अतिरिक्त हैं। उदाहरण के लिए, चीन पर फेंटेनाइल से संबंधित सामानों पर पहले से 20% टैरिफ लगा हुआ है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
1. निर्यात क्षेत्र में चुनौतियाँ
भारत के कई उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को नुकसान हो सकता है। विशेष रूप से:
- इंजीनियरिंग सामान
- रसायन और दवाएँ
- टेक्सटाइल उत्पाद
2. सकारात्मक प्रभाव के क्षेत्र
हालाँकि, कुछ क्षेत्रों को लाभ भी मिल सकता है:
- फार्मास्यूटिकल: चीन पर टैरिफ से भारतीय कंपनियों को फायदा
- सूचना प्रौद्योगिकी: अमेरिकी कंपनियों का भारत में निवेश बढ़ सकता है
- कृषि उत्पाद: कुछ वस्तुओं का निर्यात बढ़ने की संभावना
भारत सरकार की संभावित प्रतिक्रिया
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत सरकार निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
- मुक्त व्यापार समझौतों पर पुनर्विचार
- घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन
- वैकल्पिक निर्यात बाजारों की तलाश
- अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता
दीर्घकालिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएँ
इन टैरिफ नीतियों के दीर्घकालिक प्रभावों में शामिल हो सकते हैं:
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव
- व्यापार गठजोड़ों का पुनर्गठन
- विनिर्माण क्षेत्र में नई प्रवृत्तियाँ
- डिजिटल व्यापार का विस्तार
