चीन पर ट्रंप का दबाव भारत के लिए निवेश और साझेदारी के नए रास्ते खोल सकता है
“डोनाल्ड ट्रंप की वापसी की संभावना के बीच, अमेरिका की चीन पर फोकस करने वाली नीति एक बार फिर चर्चा में है। यदि ट्रंप 2024 में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो चीन के खिलाफ उनके रुख में और भी तीखापन आ सकता है।ऐसे में भारत के पास व्यापार, निवेश, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में नए अवसर खुल सकते हैं। “
ट्रंप की आक्रामक चीन नीति क्या रही है ?
ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन पर कड़े व्यापारिक शुल्क लगाए थे।
उन्होंने “अमेरिका फर्स्ट“ नीति के तहत चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने की दिशा में कदम उठाए।
इसके अलावा, हुवावे और टिकटॉक जैसे चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना उनकी नीति का हिस्सा था।
भारत के लिए रणनीतिक साझेदारी के अवसर
चीन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका को एक विश्वसनीय साझेदार की जरूरत है।
भारत इस भूमिका में फिट बैठता है क्योंकि दोनों देशों के बीच लोकतांत्रिक मूल्य और क्षेत्रीय हित मिलते हैं।
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भारत-अमेरिका रक्षा सौदों और संयुक्त सैन्य अभ्यासों में तेजी आ सकती है।
व्यापार और निवेश में संभावनाएँ
ट्रंप की नीति चीन से सप्लाई चेन हटाकर अन्य देशों में स्थानांतरित करने की रही है।
भारत को इस नीति से उद्योग, निर्माण और टेक्नोलॉजी निवेश के क्षेत्र में लाभ मिल सकता है।
मौजूदा सरकार ‘मेक इन इंडिया’ और ‘PLI स्कीम’ के ज़रिए निवेश को आकर्षित कर रही है।
ट्रंप की नीति से चीन को क्या नुकसान ?
ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू की गई नीति ने चीन की निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था पर असर डाला।
इसके चलते अमेरिका से चीन का निर्यात घटा और वैश्विक कंपनियों ने चीन से हटने की प्रक्रिया शुरू की।
इस ट्रेंड से भारत को भी वैकल्पिक हब के रूप में स्थान मिला है।
टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा में सहयोग
ट्रंप ने चीन के टेक्नोलॉजी वर्चस्व को रोकने के लिए नीतियाँ बनाई थीं।
भारत, जो 5G और डिजिटल संरचना में तेजी से आगे बढ़ रहा है, ट्रंप के साथ साइबर सिक्योरिटी और डेटा संरक्षण में साझेदारी बढ़ा सकता है।
क्वाड और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका
अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के गठबंधन QUAD के माध्यम से चीन की समुद्री विस्तार नीति का जवाब देने की रणनीति बनी है।
ट्रंप के कार्यकाल में क्वाड को और मजबूती मिल सकती है, जिसमें भारत एक अहम स्तंभ रहेगा।
चीन के खिलाफ ट्रंप की कड़ी भाषा: भारत के लिए अवसर या चुनौती ?
हालांकि ट्रंप की आक्रामकता से वैश्विक तनाव भी बढ़ सकता है, लेकिन भारत के लिए यह रणनीतिक मजबूती का समय हो सकता है।
भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह चीन से प्रतिस्पर्धा में अवसरों को आर्थिक लाभ में बदल सके।
क्या मोदी-ट्रंप की जोड़ी फिर बनेगी भागीदार ?
यदि ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी केमिस्ट्री फिर से उपयोगी हो सकती है।
पहले कार्यकाल में ‘Howdy Modi’ और ‘Namaste Trump’ जैसे कार्यक्रमों ने दोनों नेताओं की निकटता को दर्शाया था।
यह साझेदारी द्विपक्षीय सहयोग को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती है।
