वैश्विक बाजारों में गिरावट के बीच निफ्टी और सेंसेक्स की मजबूती: एशियाई और यूरोपीय इंडेक्स 13% तक लुढ़के
निफ्टी और सेंसेक्स की मजबूती बनी रही, जबकि वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई
दुनिया भर के बाजारों में हाल ही में व्यापार शुल्क और टैरिफ को लेकर चिंता का माहौल है। इसका सीधा असर वैश्विक शेयर बाजारों पर पड़ा है। एशिया और यूरोप के शेयर बाजारों में एक ही दिन में 13% तक की गिरावट देखी गई।
लेकिन इसके उलट, भारतीय शेयर बाजार, खासकर निफ्टी और सेंसेक्स, ने एक स्थिर और मजबूत प्रदर्शन किया है। यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेशकों में भरोसा अभी भी कायम है।
वैश्विक गिरावट का कारण: टैरिफ विवाद और आर्थिक अनिश्चितता
टैरिफ और व्यापार शुल्क को लेकर अमेरिका, चीन और अन्य प्रमुख देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। इसके परिणामस्वरूप:
- निवेशकों में डर का माहौल बना है
- डॉलर की मांग में तेजी आई है
- कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हुआ है
- विदेशी निवेशक जोखिम लेने से पीछे हट रहे हैं
एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भारी गिरावट
हांगकांग का हैंगसेंग, जापान का निक्केई, और दक्षिण कोरिया का कोस्पी जैसे प्रमुख इंडेक्स में भारी गिरावट देखी गई।
उसी तरह, यूरोप के प्रमुख बाजारों जैसे FTSE (लंदन), DAX (जर्मनी) और CAC (फ्रांस) ने 10% से अधिक की गिरावट दर्ज की।
यह स्थिति बताती है कि वैश्विक निवेशकों का भरोसा बाजार में कमजोर हुआ है।
भारतीय बाजार में क्यों दिखी मजबूती ?
निफ्टी और सेंसेक्स की मजबूती के पीछे कई मुख्य कारण हैं:
1. घरेलू निवेशकों की सक्रियता:
FII की निकासी के बावजूद घरेलू निवेशकों ने बाजार में भरोसा बनाए रखा।
2. RBI की मौद्रिक नीति में स्थिरता:
भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को स्थिर रखा है, जिससे बाजार में सकारात्मक संकेत मिले हैं।
3. मजबूत आर्थिक संकेतक:
हाल के आर्थिक आंकड़ों में GST संग्रह, औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में वृद्धि देखने को मिली है।
4. रुपये की स्थिरता:
अन्य देशों की तुलना में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कम कमजोर हुआ है।
निफ्टी और सेंसेक्स में कौन से सेक्टर्स रहे आगे ?
- आईटी और फार्मा कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया
- बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में कुछ कमजोरी रही
- FMCG और ऑटो सेक्टर में निवेशकों ने रुचि दिखाई
निवेशकों के लिए क्या है यह संकेत ?
हालांकि वैश्विक बाजारों में गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन भारतीय बाजार की मजबूती से यह स्पष्ट है कि:
- भारत में निवेश करने वालों के लिए अभी भी बेहतर मौके मौजूद हैं
- लंबे समय के लिए बाजार में भरोसा कायम है
- निवेशकों को सतर्क रहते हुए अच्छे फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए
आगे क्या हो सकता है ?
विश्लेषकों का मानना है कि यदि टैरिफ विवाद और वैश्विक तनाव जारी रहता है, तो भारतीय बाजार पर भी दबाव बढ़ सकता है।
हालांकि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन बाहरी दबाव से पूर्णतः बचा नहीं जा सकता।
निफ्टी और सेंसेक्स के निवेशकों के लिए सुझाव
1. डाइवर्सिफाई करें:
केवल एक ही सेक्टर में निवेश न करें। कई सेक्टर में निवेश कर रिस्क को कम करें।
2. SIP जारी रखें:
लंबे समय के लिए SIP (Systematic Investment Plan) फायदेमंद रहेगा।
3. वैश्विक समाचारों पर नजर रखें:
अमेरिका-चीन व्यापार विवाद जैसे वैश्विक मुद्दों का भारतीय बाजार पर असर होता है।
बाजार की चाल में छिपा है भारत की स्थिरता का संकेत
जब पूरी दुनिया की बाजारें घबराई हुई हैं, निफ्टी और सेंसेक्स की मजबूती एक सकारात्मक संकेत देती है। इससे पता चलता है कि भारतीय निवेशकों का विश्वास और देश की आर्थिक नींव अभी भी मजबूत है।
“इस भरोसे को बनाए रखने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थानों को मिलकर आगे की रणनीति बनानी होगी।“
