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AITIGA की 8वीं बैठक: भारत-आसियान व्यापार सहयोग को मिली नई दिशा

AITIGA की 8वीं बैठक में भारत-आसियान व्यापार सहयोग को मिली नई मजबूती

नई दिल्ली: भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। हाल ही में नई दिल्ली में AITIGA (ASEAN-India Trade in Goods Agreement) की 8वीं बैठक का आयोजन किया गया, जहां भारत और आसियान देशों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

इस बैठक में द्विपक्षीय व्यापार को लेकर महत्वपूर्ण चर्चाएं हुईं। इसमें व्यापार में संतुलन, नीतिगत सुधार और आपसी व्यापार बाधाओं को कम करने जैसे विषय शामिल रहे।


भारत-आसियान व्यापार सहयोग: AITIGA का महत्व

AITIGA यानी ASEAN-India Trade in Goods Agreement एक ऐसा समझौता है, जो भारत और दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (ASEAN) के बीच व्यापार को सुगम और लाभकारी बनाने के लिए कार्य करता है। यह समझौता 2010 में लागू हुआ था और अब इसका पुनर्मूल्यांकन चल रहा है, ताकि मौजूदा समय की व्यापारिक जरूरतों के अनुसार इसमें बदलाव लाया जा सके।


व्यापार संतुलन को लेकर हुई अहम बातचीत

भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार संतुलन एक बड़ा मुद्दा रहा है। भारत का व्यापार घाटा कई बार चर्चा का विषय बन चुका है। इस बैठक में व्यापार घाटे को कम करने के लिए निर्यात को प्रोत्साहित करने, मूल्य वर्धन को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक्स सुधारों जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।


ASEAN देशों से बढ़ता व्यापार और निवेश

भारत और ASEAN देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में लगभग 131 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है। यह साझेदारी केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें डिजिटल कॉमर्स, ग्रीन एनर्जी, कृषि तकनीक, और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया जा रहा है।


भारत-आसियान व्यापार सहयोग के प्रमुख बिंदु

1. व्यापार बाधाओं को कम करना

बैठक में यह सहमति बनी कि सभी पक्ष व्यापार को बाधा रहित बनाने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं को सरल करेंगे।

2. स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग

भारत और ASEAN देशों ने ग्रीन टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी में संयुक्त परियोजनाओं पर काम करने की इच्छा जताई।

3. डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार

डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत और ASEAN के देशों के बीच डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर साझा करने की योजना पर भी बात हुई।


AITIGA समीक्षा प्रक्रिया और उसके लाभ

AITIGA की यह 8वीं बैठक इस समझौते के संशोधन की प्रक्रिया का हिस्सा है। इससे दोनों पक्षों को व्यापार में लचीलापन, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया के जरिए निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • व्यापार की लागत में कमी
  • निर्यातकों को बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराना
  • नियमों का सरलीकरण
  • निवेश के नए अवसर

क्षेत्रीय विकास में भारत-आसियान व्यापार सहयोग की भूमिका

भारत-आसियान व्यापार सहयोग केवल आर्थिक फायदे तक सीमित नहीं है। यह क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और सामाजिक विकास के लिए भी आवश्यक है। भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और आसियान की “सेंट्रलिटी” की नीति एक दूसरे की पूरक बन रही हैं।


व्यापारिक समुदाय को उम्मीदें

AITIGA की 8वीं बैठक से भारतीय उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर MSME क्षेत्र, आईटी सेवाएं, औषधि उद्योग और कृषि उत्पाद निर्यातक इस समझौते के सुधार से लाभान्वित हो सकते हैं। व्यापारिक संगठनों का मानना है कि अगर व्यापार नियमों को सरल किया गया, तो भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा ASEAN बाजारों में और मजबूत होगी।


भविष्य की दिशा

भारत और ASEAN के बीच व्यापार सहयोग आने वाले वर्षों में और अधिक गहरा होने की संभावना है। डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वच्छ ऊर्जा, हेल्थ टेक्नोलॉजी और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा देना इस सहयोग की अगली दिशा होगी।AITIGA की 8वीं बैठक में भारत-आसियान व्यापार सहयोग को मिली नई मजबूती

नई दिल्ली: भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। हाल ही में नई दिल्ली में AITIGA (ASEAN-India Trade in Goods Agreement) की 8वीं बैठक का आयोजन किया गया, जहां भारत और आसियान देशों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

इस बैठक में द्विपक्षीय व्यापार को लेकर महत्वपूर्ण चर्चाएं हुईं। इसमें व्यापार में संतुलन, नीतिगत सुधार और आपसी व्यापार बाधाओं को कम करने जैसे विषय शामिल रहे।


भारत-आसियान व्यापार सहयोग: AITIGA का महत्व

AITIGA यानी ASEAN-India Trade in Goods Agreement एक ऐसा समझौता है, जो भारत और दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (ASEAN) के बीच व्यापार को सुगम और लाभकारी बनाने के लिए कार्य करता है। यह समझौता 2010 में लागू हुआ था और अब इसका पुनर्मूल्यांकन चल रहा है, ताकि मौजूदा समय की व्यापारिक जरूरतों के अनुसार इसमें बदलाव लाया जा सके।


व्यापार संतुलन को लेकर हुई अहम बातचीत

भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार संतुलन एक बड़ा मुद्दा रहा है। भारत का व्यापार घाटा कई बार चर्चा का विषय बन चुका है। इस बैठक में व्यापार घाटे को कम करने के लिए निर्यात को प्रोत्साहित करने, मूल्य वर्धन को बढ़ावा देने और लॉजिस्टिक्स सुधारों जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।


ASEAN देशों से बढ़ता व्यापार और निवेश

भारत और ASEAN देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में लगभग 131 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है। यह साझेदारी केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें डिजिटल कॉमर्स, ग्रीन एनर्जी, कृषि तकनीक, और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया जा रहा है।


भारत-आसियान व्यापार सहयोग के प्रमुख बिंदु

1. व्यापार बाधाओं को कम करना

बैठक में यह सहमति बनी कि सभी पक्ष व्यापार को बाधा रहित बनाने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं को सरल करेंगे।

2. स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग

भारत और ASEAN देशों ने ग्रीन टेक्नोलॉजी और क्लीन एनर्जी में संयुक्त परियोजनाओं पर काम करने की इच्छा जताई।

3. डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार

डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत और ASEAN के देशों के बीच डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर साझा करने की योजना पर भी बात हुई।


AITIGA समीक्षा प्रक्रिया और उसके लाभ

AITIGA की यह 8वीं बैठक इस समझौते के संशोधन की प्रक्रिया का हिस्सा है। इससे दोनों पक्षों को व्यापार में लचीलापन, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया के जरिए निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • व्यापार की लागत में कमी
  • निर्यातकों को बेहतर बाज़ार उपलब्ध कराना
  • नियमों का सरलीकरण
  • निवेश के नए अवसर

क्षेत्रीय विकास में भारत-आसियान व्यापार सहयोग की भूमिका

भारत-आसियान व्यापार सहयोग केवल आर्थिक फायदे तक सीमित नहीं है। यह क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और सामाजिक विकास के लिए भी आवश्यक है। भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और आसियान की “सेंट्रलिटी” की नीति एक दूसरे की पूरक बन रही हैं।


व्यापारिक समुदाय को उम्मीदें

AITIGA की 8वीं बैठक से भारतीय उद्योग जगत को बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर MSME क्षेत्र, आईटी सेवाएं, औषधि उद्योग और कृषि उत्पाद निर्यातक इस समझौते के सुधार से लाभान्वित हो सकते हैं। व्यापारिक संगठनों का मानना है कि अगर व्यापार नियमों को सरल किया गया, तो भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा ASEAN बाजारों में और मजबूत होगी।


भविष्य की दिशा

भारत और ASEAN के बीच व्यापार सहयोग आने वाले वर्षों में और अधिक गहरा होने की संभावना है। डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वच्छ ऊर्जा, हेल्थ टेक्नोलॉजी और स्मार्ट लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा देना इस सहयोग की अगली दिशा होगी।

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सुनील शर्मा

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