‘वृक्ष मित्र’ दारिपल्ली रमैया के निधन पर पीएम मोदी ने जताया शोक, हरियाली के प्रति उनके समर्पण को बताया प्रेरणास्रोत
प्रधानमंत्री मोदी ने वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया के निधन पर जताया शोक, हरित अभियान के प्रति उनकी सोच को बताया प्रेरणादायक
"भारत में हरियाली और पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का मिशन बनाने वाले वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन की खबर ने पूरे देश को भावुक कर दिया। उनकी हरियाली की सोच और पर्यावरण के प्रति उनका समर्पण लाखों लोगों को प्रेरित करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें हरित भारत का सच्चा सपूत बताया।"
दारिपल्ली रमैया कौन थे?
दारिपल्ली रमैया तेलंगाना के रहने वाले एक सामान्य किसान थे, लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन पेड़ लगाने और पर्यावरण को हरा-भरा बनाने में समर्पित किया। उन्होंने अकेले ही 10 लाख से अधिक पौधे लगाए और उन्हें संरक्षण भी प्रदान किया। इसी कारण उन्हें “वृक्ष मित्र” और “ट्री मैन ऑफ इंडिया” जैसे उपनामों से जाना जाता है।
वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया को दी पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया और सार्वजनिक संदेशों के माध्यम से दारिपल्ली रमैया को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा:
“दारिपल्ली रमैया जी का जीवन हरियाली और पर्यावरण के प्रति समर्पण का जीता-जागता उदाहरण था। उनके प्रयासों ने देशभर के नागरिकों को पेड़ लगाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित किया।”
पर्यावरण संरक्षण में अद्भुत योगदान
दारिपल्ली रमैया सिर्फ पौधे नहीं लगाते थे, बल्कि उनके बारे में जानकारी भी देते थे। वे आम, नीम, बरगद, पीपल जैसे स्थानीय और पारंपरिक पेड़ों को प्राथमिकता देते थे, जो न केवल वातावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि स्थानीय जैव विविधता को भी बनाए रखते हैं।
वे बीजों को अपने पास सहेजकर रखते और जहां भी खाली जमीन दिखती, वहीं पेड़ लगा देते थे। वे साइकिल पर चलते और बीज लेकर गांव-गांव जाते थे।
वृक्ष मित्र का जीवन एक मिसाल
- स्वयं का पैसा खर्च कर पेड़ लगाए
- सरकार या संस्था से कोई आर्थिक सहायता नहीं ली
- परिवार को भी अपने मिशन में शामिल किया
- हर उम्र, जाति और धर्म के लोगों को इस मिशन से जोड़ा
वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया की सोच और दृष्टि
उनका मानना था कि अगर हर इंसान एक पौधा लगाए और उसकी देखभाल करे, तो पूरी धरती हरी-भरी हो सकती है। उन्होंने कहा था:
“मेरे लिए असली संपत्ति पैसा नहीं, हरियाली है।”
उनकी यही सोच आज के पर्यावरण संकट के दौर में और भी प्रासंगिक हो जाती है।
उनकी प्रेरणा आज क्यों जरूरी है?
आज जब वातावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता में गिरावट जैसे मुद्दे पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं, ऐसे में वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया जैसी शख्सियतों का योगदान और भी अधिक मूल्यवान हो जाता है। उनकी निरंतर साधना और सेवा हमें यह सिखाती है कि परिवर्तन केवल सरकारों से नहीं, व्यक्तिगत प्रयासों से भी संभव है।
उनके सम्मान में उठाए जा सकते हैं ये कदम:
- उनके नाम पर वृक्षारोपण अभियान चलाना
- विद्यालयों में उनके जीवन पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार करना
- प्राकृतिक संरक्षण पुरस्कार की शुरुआत
- गांव-गांव में ‘हरियाली मित्र क्लब’ बनाना
वृक्ष मित्र दारिपल्ली रमैया को मिले सम्मान
- भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान (2017)
- स्थानीय संगठनों द्वारा ‘ग्रीन हीरो’ की उपाधियाँ
- लाखों युवाओं के लिए रोल मॉडल
देशभर से श्रद्धांजलि संदेश
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा कई नेताओं, पर्यावरणविदों और आम लोगों ने सोशल मीडिया पर दारिपल्ली रमैया को श्रद्धांजलि अर्पित की। पर्यावरण संगठनों ने उन्हें “हरियाली के योद्धा” की संज्ञा दी।
