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वैश्विक उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत के परिधान निर्यात में 10% की उल्लेखनीय वृद्धि

भारत का परिधान निर्यात वैश्विक चुनौतियों के बीच भी उभरा मजबूत, दर्ज की 10.03% की वृद्धि

नई दिल्ली, अप्रैल 2025:
"वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक भारत का परिधान निर्यात वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं के बावजूद 10.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ उभरा है।
भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (CITI) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वस्त्र और परिधान के कुल निर्यात में 6.32 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें परिधान क्षेत्र की भूमिका प्रमुख रही।"


वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच भारत का वस्त्र उद्योग बना स्थायित्व का प्रतीक

सीआईटीआई के अध्यक्ष राकेश मेहरा ने बताया कि यह प्रदर्शन न केवल भारतीय परिधान उद्योग की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि इसकी अनुकूलनशीलता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता को भी उजागर करता है।

उनके अनुसार, यह वृद्धि संभव हुई है:

  • नए व्यापार समझौतों की गति बढ़ने से
  • सरकार की नीतिगत सहायता से
  • निर्यातकों के बीच भरोसे का माहौल बनने से

अमेरिका-चीन तनाव भारत के लिए बना रणनीतिक अवसर

राकेश मेहरा ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार तनाव भारत को नए साझेदारी अवसर दे रहा है।

उन्होंने कहा:
“भारत आज वैश्विक परिधान बाजार में एक विश्वसनीय और पसंदीदा आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर रहा है।”

हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए भारत को चाहिए:

  • सक्रिय कूटनीति
  • स्थिर टैरिफ व्यवस्था
  • निर्यात प्रक्रिया का सरलीकरण

मार्च 2025 में परिधान निर्यात में वृद्धि, पर कुल निर्यात में हल्की गिरावट

मार्च 2025 के लिए आंकड़े मिलेजुले रहे:

मापदंडबदलाव (%)
वस्त्र निर्यात (मार्च ’25 बनाम ’24)-5.81%
परिधान निर्यात (मार्च ’25 बनाम ’24)+3.97%
कुल वस्त्र और परिधान निर्यात-1.63%

वार्षिक समीक्षा: अप्रैल 2024 से मार्च 2025

पूरे वित्त वर्ष में वस्त्र निर्यात में 3.61% और परिधान निर्यात में 10.03% की वृद्धि दर्ज की गई।
सीआईटीआई का विश्लेषण बताता है कि परिधान निर्यात का यह प्रदर्शन भारत के संपूर्ण व्यापारिक निर्यात की तुलना में कहीं बेहतर रहा, जो इस अवधि में लगभग स्थिर रहा।


मुख्य कारण जिनसे बढ़ा भारत का परिधान निर्यात

  1. सस्ते श्रम की उपलब्धता और उत्पादन क्षमता
  2. सरकार द्वारा PLI जैसी योजनाओं का समर्थन
  3. कस्टम ड्यूटी और लॉजिस्टिक्स में सुधार
  4. ईयू और यूएस जैसे बाजारों की चीन से बाहर विविधता लाने की रणनीति
  5. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और टेक्नोलॉजी का व्यापक उपयोग

वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति

भारत धीरे-धीरे बन रहा है:

  • सस्टेनेबल फैशन का केंद्र
  • प्रेसिजन मैन्युफैक्चरिंग और फास्ट फैशन का विकल्प
  • रीसायक्लिंग और सर्कुलर इकोनॉमी में भागीदार

उद्योग के सामने चुनौतियां

  1. कच्चे माल की बढ़ती लागत
  2. कौशलयुक्त श्रमिकों की कमी
  3. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
  4. डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की धीमी गति
  5. निर्यात प्रतिस्पर्धा में वियतनाम, बांग्लादेश और तुर्की से टक्कर
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