भारत ने ब्रिक्स शेरपा बैठक में दिया बहुपक्षीय सहयोग और सतत विकास का संदेश
"भारत की ब्रिक्स शेरपा बैठक में सक्रिय भागीदारी ने यह दिखाया कि भारत वैश्विक मंच पर सहयोग, विकास और सुधार की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है। ब्रिक्स का निरंतर विकास और नए देशों का समावेश इस संगठन को और भी अधिक प्रभावशाली बना रहा है। आने वाले वर्षों में ब्रिक्स की दिशा और इसके सदस्य देशों के बीच सहयोग वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित करेगा।"
भारत का ब्रिक्स शेरपा बैठक में भागीदारी: वैश्विक सहयोग की नई दिशा
भारत ने ब्रिक्स शेरपा बैठक में हिस्सा लेकर एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपने बहुपक्षीय दृष्टिकोण और सहयोग भावना को प्रदर्शित किया। यह बैठक ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित की गई थी, जहां भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के सचिव (आर्थिक संबंध) डम्मू रवि ने भाग लिया। बैठक के दौरान सदस्य देशों ने सतत विकास, वैश्विक चुनौतियों और आपसी सहयोग को गहरा करने पर विस्तृत चर्चा की। भारत ने इस अवसर पर मिलकर काम करने और बहुपक्षीय ढांचे को मजबूत बनाने पर बल दिया।
ब्रिक्स शेरपा बैठक में उठे मुख्य विषय
ब्रिक्स शेरपा बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, उनमें निम्नलिखित शामिल रहे:
बहुपक्षीय सहयोग को सशक्त बनाना।सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाना।स्वास्थ्य, व्यापार और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर संयुक्त रणनीति बनाना।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाना।वैश्विक शांति और स्थिरता को समर्थन देना।
इसके अलावा, नए सदस्य देशों की भागीदारी से बैठक में विविधता और वैश्विक प्रतिनिधित्व का नया स्वरूप देखने को मिला।
भारत का दृष्टिकोण: सहयोग और सुधार की आवश्यकता
बैठक में भारत ने कहा कि आज की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग और सुधार दोनों आवश्यक हैं। भारत ने स्पष्ट किया कि ब्रिक्स को एक समावेशी, लोकतांत्रिक और प्रतिनिधि संगठन बनाना समय की मांग है। इसके साथ ही, भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि सदस्य देशों के बीच तकनीकी, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को और अधिक बढ़ाना चाहिए।
ब्रिक्स समूह का विकास और विस्तार
ब्रिक्स समूह की शुरुआत 2006 में रूस, भारत और चीन के नेताओं की अनौपचारिक बैठक से हुई थी। बाद में 2009 में पहला आधिकारिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद इसका नाम BRICS पड़ा। हाल ही में 2024 में ब्रिक्स का बड़ा विस्तार हुआ। इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को सदस्य बनाया गया। साथ ही, 2025 की शुरुआत में इंडोनेशिया को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया। बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, युगांडा और उज्बेकिस्तान को भागीदार देशों का दर्जा दिया गया है।
ब्रिक्स का वैश्विक महत्व
ब्रिक्स समूह आज:
दुनिया की 49.5% जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।40% वैश्विक जीडीपी में योगदान करता है।वैश्विक व्यापार में 26% हिस्सेदारी रखता है।
यह समूह न केवल आर्थिक ताकतवर बन रहा है, बल्कि वैश्विक निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसलिए, ब्रिक्स के भीतर सहयोग और तालमेल बढ़ाना विश्व के लिए लाभकारी हो सकता है।
आगे का रास्ता: नई प्राथमिकताएं
भविष्य की दिशा तय करते हुए ब्रिक्स देशों ने निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है:
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से मिलकर निपटना।स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना।व्यापार अवरोधों को हटाकर सहयोग बढ़ाना।डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचार और साझेदारी को बढ़ावा देना।
इन प्राथमिकताओं के साथ, ब्रिक्स एक अधिक समावेशी और सशक्त वैश्विक व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहा है।
