भारत का संकल्प: पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करेगा – पार्वथनेनी हरीश का बयान
“भारत ने स्पष्ट किया है कि वह पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह बयान भारत के वरिष्ठ राजनयिक पार्वथनेनी हरीश ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिया। उनका कहना है कि भारत क्षेत्र में शांति बनाए रखने, सहयोग को बढ़ावा देने और सतत विकास सुनिश्चित करने के प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।”
पश्चिम एशिया में भारत की भूमिका का इतिहास
भारत और पश्चिम एशिया के संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के लिए:
- ऊर्जा संसाधनों का मुख्य स्रोत है
- प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी का घर है
- और रणनीतिक साझेदारी का केंद्र भी है
भारत सदैव इस क्षेत्र में संवाद, विकास और स्थायित्व के पक्ष में रहा है।
पार्वथनेनी हरीश का क्या कहना है?
विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हरीश पार्वथनेनी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा:
“भारत पश्चिम एशिया में शांति बनाए रखने की दिशा में सकारात्मक और सक्रिय भूमिका निभा रहा है। हमारा उद्देश्य है कि क्षेत्रीय विवादों का समाधान बातचीत और कूटनीति के ज़रिए हो।”
पश्चिम एशिया में भारत की नीति के प्रमुख बिंदु
1. शांतिपूर्ण संवाद को बढ़ावा
भारत का मानना है कि किसी भी संघर्ष का समाधान बातचीत से ही संभव है। भारत ने कई बार इस क्षेत्र के संघर्षों को शांतिपूर्वक हल करने का आग्रह किया है।
2. क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान
भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थिरता और समावेशी विकास के लिए अपनी नीति स्पष्ट करता रहा है।
3. आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ावा
भारत पश्चिम एशिया के देशों के साथ ऊर्जा, रक्षा, कृषि और तकनीक के क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित करता है।
पश्चिम एशिया में भारत के प्रमुख साझेदार
भारत के पश्चिम एशिया में कई करीबी सहयोगी हैं, जैसे:
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
- कतर
- ईरान
- ओमान
- इज़राइल
इन देशों के साथ ऊर्जा, रक्षा, व्यापार और मानव संसाधन के क्षेत्र में भारत के रणनीतिक संबंध हैं।
पश्चिम एशिया में भारतीय प्रवासियों की भूमिका
पश्चिम एशिया में 90 लाख से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो:
- वहाँ की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं
- भारत के लिए विदेशी मुद्रा का बड़ा स्रोत हैं
- और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का कार्य करते हैं
शांति स्थापना में भारत की अंतरराष्ट्रीय पहलें
भारत ने कई मौकों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मध्यस्थता और मानव सहायता के लिए पहल की है। चाहे वह फिलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष हो या सीरिया की मानवीय स्थिति, भारत ने हमेशा न्याय, संतुलन और समाधान का पक्ष लिया है।
भविष्य के लिए भारत की रणनीति
1. ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
भारत पश्चिम एशिया से अपने तेल और गैस की आपूर्ति पर निर्भर है। इसलिए इस क्षेत्र में स्थिरता भारत की ऊर्जा सुरक्षा से सीधे जुड़ी है।
2. सामरिक और डिजिटल साझेदारी
भारत क्षेत्र के देशों के साथ रक्षा और साइबर सुरक्षा में भी सहयोग बढ़ा रहा है।
3. प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा
भारत की विदेश नीति में यह भी प्राथमिकता है कि पश्चिम एशिया में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा हो।
भारत का वैश्विक संदेश
भारत ने हमेशा दुनिया को यह संदेश दिया है कि विकास, सहयोग और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही वैश्विक स्थायित्व की कुंजी हैं। पार्वथनेनी हरीश का यह बयान उसी दृष्टिकोण का विस्तार है।
